मधेपुरा जिला मुख्यालय स्थित कस्तूरबा विद्यालय का
बंटाधार करने में शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन ने कोई कसर नहीं छोड़ी है.चार वर्ष
पुराने इस विद्यालय की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये अपने
स्थापना वर्ष से ही शिक्षक विहीन है.यहाँ रहने वाली करीब एक सौ लड़कियां खुद का
खर्च कर बाहर से पुरुष शिक्षक को अंदर बुलाकर ट्यूशन पढती हैं.जबकि नियम से यहाँ
बाहर के किसी व्यक्ति के प्रवेश पर सख्त मनाही है. मधेपुरा के शिक्षा विभाग के
अधिकारी की लापरवाही इस स्कूल के मामले में चरम पर है.इन्होने दो-दो बार शिक्षिका
और वार्डन की नियुक्ति के लिए विज्ञापन भी निकाला,पर नहीं की गयी नियुक्ति की
कार्यवाही. पता-पाठन के नाम पर इस गरीब बच्चों के विद्यालय में सिर्फ एक शिक्षिका
की प्रतिनियुक्ति कर खानापूरी की जा रही है.स्थिति
यह है कि यहाँ जिले की एक सौ
बच्ची का भविष्य जिला प्रशासन की लापरवाही से अँधेरे में है.इस विद्यालय के संचालक
रमेश रजक की मनमानी भी इस विद्यालय की बच्चियों की भविष्य को डुबो रही है.यहाँ रह
रही एक छात्रा जब कैमरे के सामने ये बात बताने लगी कि हमलोग अपने पैसे से बाहर के
शिक्षक से ट्यूशन पढते हैं तो संचालक महोदय ने बीच में ही इशारा किया कि कहो कि सर
ही पैसा देकर ट्यूशन पढ़ने के लिए टीचर
बुलाते हैं.संचालक रमेश रजक मानते हैं कि तीन दिन पहले ही एक शिक्षिका की
प्रतिनियुक्ति हुई है और शिक्षक नहीं रहने से यहाँ बच्चों के पठान-पाठन में
परेशानी जरूर हो रही है.

एक
सप्ताह पूर्व कस्तूरबा विद्यालय के प्रभारी अधिकारी रटा-रटाया जवाब देते हैं कि जल्दी
ही सबकुछ ठीक कर लिया जाएगा.सरकार भले ही गरीब तबके की बच्चियों को शिक्षित करने
के लिए कस्तूरबा गांधी विद्यालय की स्थापना कर दी हो, परन्तु लापरवाह अधिकारी ने
इसे लूट-खसोट का अड्डा बना रखा है जिससे ये गरीब बच्चियां शिक्षा से कोसो दूर हैं.
कस्तूरबा की एक सौ बच्ची के भविष्य के साथ खिलवाड़
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 05, 2012
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itni sari garibi aur pichdapan aur usse bhi jyada nikamme sarkari adhikari,,.
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