जिले में चल रहे कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में
सुविधाओं का घोर अभाव है.यहाँ रहने वाली बच्ची किसी तरह पठन-पाठन का कार्य कर रही
है.चौंकाने वाली बात तो यह सामने आई है कि मुरलीगंज सहित जिले के कई कस्तूरबा
विद्यालय में बच्ची रात्रि-प्रहरी के भरोसे रहती है, जबकि नियमानुसार चौबीस घंटे
महिला वार्डेन एवं शिक्षिका को विद्यालय में रहना अनिवार्य है.लेकिन सूत्रों की
मानें तो रात में एक भी महिला कर्मचारी विद्यालय में नहीं रहती है, ऐसे में अगर यहाँ
रह रही एक सौ बच्चियों में से किसी के साथ कोई अनहोनी होती है या इनकी तबियत ही
बिगड़ जाती है तो इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा, ये गंभीर प्रश्न है.
हालांकि
मुरलीगंज कस्तूरबा बालिका विद्यालय की वार्डन गीता कुमारी सिरे से आरोप को नकारते
हुए कहती हैं कि इस विद्यालय में तीन शिक्षिका हैं और वे पूर्णकालिक हैं.ऐसे में
रात्रि में विद्यालय में नहीं रहने का सवाल ही नहीं उठता है.मैं खुद यहाँ चौबीस
घंटे रहती हूँ और पूर्णकालिक शिक्षिका भी रहती हैं.अब ये तो जांच के बाद ही पता चल
पायेगा कि हकीकत क्या है.
बता
दें कि जिले के पांच कस्तूरबा बालिका विद्यालय एनजीओ के द्वारा संचालित किये जाते
हैं.अक्सर ऐसे विद्यालयों में पढ़ने वाली बच्ची और वहाँ कार्यरत कर्मी दबे जुबान से
एनजीओ पर लापरवाही का आरोप लगाते हैं.आरोप यह भी है कि एनजीओ के संचालक पटना में
बैठकर ही विद्यालय संचालित करते हैं जिसके कारण कोई न कोई समस्या ऐसे विद्यालय की
बच्चियां और कर्मी के पास बनी ही रहती है.विद्यालय के कर्मी एनजीओ के सामने डर के
मारे खुलकर बोल भी नहीं पाते क्योंकि उन्हीं के हाथों से इनकी तनख्वाह मिलती
है.स्थानीय लोगों ने भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्री को पत्र भेजकर आरोप लगाया
है कि एनजीओ के संचालक जिले के सम्बंधित अधिकारियों को मोटी रकम देकर यहाँ अपनी
मनमानी चलाते हैं.आवेदन में कहा गया है कि एनजीओ को जबतक नहीं हटाया जाएगा तबतक
कस्तूरबा बालिका विद्यालय के उद्येश्य की पूर्ति नहीं हो सकेगी.
कस्तूरबा विद्यालय जहाँ रात में बगैर शिक्षिका की रहती हैं छात्राएं ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 18, 2012
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