राकेश सिंह/03 जुलाई 2012
संतान और पति के प्रति मोह होना महिलाओं में स्वाभाविक रूप से पाया जाता है.परन्तु इस हकीकत से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि गाँवों के गरीब इलाकों में महिलाओं के लिए उनके द्वारा पाले जा रहे पशु भी संतान और पति जैसे ही होते हैं.पशुओं की सेवा भावना उनके दिल में इतनी ज्यादा होती है कि सुबह उठने से रात के सोने तक वे इनका ख्याल परिवार के सदस्यों की तरह करती हैं.हो भी क्यों नहीं, घर में पति कमा कर लाते हैं तो पूरे परिवार का गुजारा होता है.ठीक उसी तरह पशुधन से भी घर को एक बड़ा आर्थिक सहयोग मिल जाता है, जिससे जिंदगी जीना आसान हो जाती है.और किसी की सेवा करते उनसे लगाव हो जाना तो मानव की सहज प्रवृत्ति है.और इतने दिनों साथ रहने के बाद यदि ये साथ छोड़कर चले जाएँ तो....?
मधेपुरा के आजाद टोला में पिछले दिनों पांच भैंसों की हुई मृत्यु के बाद तो गायत्री देवी पर मानो दुखों का पहाड़ टूट गया.गायत्री का रोना देखकर ऐसा ही लगा मानों इसके परिवार का कोई अहम सदस्य गुजर गया हो.आइये दिखाते हैं हम आपको एक वीडियो, जिसे देखने के बाद आप खुद तय कर लेंगे कि पशुधन इन महिलाओं के लिए पति या संतान से कम नहीं होता.
वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें.
पति और बेटे की मौत पर भी होता है ऐसा ही विलाप
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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July 03, 2012
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