धान की फसल की पैदावार अधिक हो इसके लिए सरकार ने श्री विधि से खेती करने को प्रोत्साहित किया था.गेहूं की फसल के लिए सरकार के द्वारा किसानों को ‘स्वी विधि’ से खेती करने की सलाह पर चलने वाले जिले के किसान आज लुट चुके हैं.गेहूं के पौधे में बालियाँ तो हैं पर दानों का कहीं पता नहीं है.किसानों का गुस्सा सरकार और जिले के कृषि पदाधिकारियों पर फूट रहा है.जिन किसानों ने कृषि विभाग की बातों में न आकर पुराने बीज से खेती की थी, वे अब राहत की सांस ले रहे हैं.सरकार ने इस विधि से खेती करने के लिए अनुदानित स्तर पर किसानों को बीज मुहैया कराया था. साथ ही प्रखंड स्तर पर कृषि सलाहकारों व अन्य कई लोगों को नियुक्त भी किया था,पर सारे लोगों की लापरवाही से आज जिले के सैंकडों किसान दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो चुके हैं.मधेपुरा का कृषि विभाग अब अपना पल्ला झाड़ने में लगा हुआ है.कृषि विभाग के पदाधिकारी उलटे किसान पर ही आरोप लगा रहे हैं.कहते हैं कि बीजरोपण से पहले मिट्टी तथा अन्य परिस्थिति की जांच किसानों को करा लेनी चाहिए थी.पर किसान कहते हैं कि पदाधिकारियों और अपने को कृषि वैज्ञानिक कहने वाले विभाग के लोगों ने अपने सामने ही बीजारोपण कराया था,उस समय में ये बात नहीं थी.पर अब पदाधिकारी अपनी गलती छुपा रहे हैं.किसानों का ये भी कहना है कि पुराने बीज के लिए जब हमारी मिट्टी उपयुक्त थी तो नए के लिए क्यों नही है? बहुत से किसानों ने बताया कि बीज ही नकली लग रहा था और बोरे की सिलाई भी लोकल धागे से की गयी थी.
पूरा मामला जांच का विषय बनता है क्योंकि सरकार की बातों में आकर जिले के कई किसान अब बर्बाद होकर रो रहे हैं.वे मुआवजे की मांग कर रहे हैं ताकि अपने परिवार को जिन्दा रख सकें.पर इस मुद्दे पर जिले के आलाधिकारी कुछ स्पष्ट बोलने से कतरा रहें हैं.यहाँ ऐसा लगता है कि बेहतर होता जब इन जिले के इन लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों से किसानों के लिए मुआवजे की राशि वसूल की जाती.
सरकार की ‘स्वी विधि’ ने बर्बाद किया जिले के किसानों को
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 25, 2012
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