खबर ऐसी कि सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएँ.मानवता को शर्मशार करने वाली इससे बड़ी घटना जिले में शायद नहीं हो सकती.8 वर्षीया बच्ची को क्या पता था कि गाँव का ही 16 वर्षीय युवक मिथिलेश इंसान के रूप में भेडिया निकलेगा.बहाने से गोद में उठाकर और मुंह में कपड़ा ठूंसकर इस मासूम के साथ बलात्कार करने वाले ऐसे वहशी इंसान को क्या चौराहे पर फांसी पर नहीं लटका देना चाहिए?
घटना इसी १३ मार्च की श्रीनगर थाना के ललकुरिया गाँव की है.बगल में रिश्ते में लगने वाली बहन की शादी देखने का उत्साह बबीता (बदला हुआ नाम) की जिंदगी को बर्बाद कर देगा, यदि इस मासूम बच्ची को पता होता तो शायद ये कभी भी शादी देखने कि जिद न की होती.माँ ने इजाजत दे दी तो बबीता अपनी सहेली सोनी और ललिता के साथ जागकर शादी के रस्मों-रिवाज को देखती रही.सुबह चार बजे सबकुछ संपन्न हुआ तो तीनों बच्चियों ने अपने घर का रूख किया.गाँव का ही मिथिलेश बगल में खड़ा था.बबीता को कहा कि तुम्हारी माँ वहां दूकान पर तुम्हें बुला रही है.नींद से बोझिल आखें लिए बबीता ने कहा मैं घर जा रही हूँ सोने.पर धूर्त मिथिलेश ने इसे डराया कि यदि नहीं जाओगी तो माँ बहुत मारेगी.मासूम बच्ची को इंसान की शक्ल में उस वहशी जानवर की नीयत का पता नहीं चला.साथ चल दी,पर कुछ ही देर के बाद मिथिलेश ने बबीता को बगल के बँसबिट्टी में ले जाकर जबरन जो कुकृत्य किया उसे सुनकर किसी भी इंसान की रूह काँप उठेगी.मासूम इस अत्याचार को सह न सकी और बेहोश हो गयी. डरकर उसी भेडिये ने बबीता को होश में लाया और फिर वहां से भाग खड़ा हुआ.
लड़खड़ाते कदम से मासूम किसी तरह घर तक पहुंची और जब उसने पूरी कहानी सबको बताई तो पूरा इलाका सन्नाटे में रह गया.मिथिलेश गाँव से भाग खड़ा हुआ.मामला श्री नगर थाने में दर्ज है और पुलिस ने कल ही न्यायालय में बबीता का बयान करवाया जिसमें उसने अपने साथ बलात्कार होने की बात कही है.
यहाँ सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि कोई मासूम जब ऐसे कुकृत्य का शिकार हो जाती है तो मिथिलेश जैसे कुकर्मी को भले ही सजा मिल जाये पर क्या बबीता इस सदमे से जिंदगी भर उबर सकेगी.भारत का कानून भी ऐसे मामले में कमजोर दिखता है.बलात्कार के बाद जब पीडिता की हत्या कर दी जाती है तब ही दोषी को फांसी पर लटकाया जाता है वर्ना ये कुछ साल जेल में रहकर बाहर निकल जाते हैं.गाँवों में ये भी देखा जाता है कि यदि गरीब परिवार की बच्ची शिकार बनती है तो कुछ मानसिक रूप से कमजोर समाज के तथाकथित ठीकेदार बच्ची के पिता को कुछ पैसे दिलाकर मामले को रफा-दफा कराने के प्रयास में लग जाते हैं.बबीता के मामले में क्या होता है ये तो समय बताएगा,पर लगता है कि ऐसे मामलों में फैसले लेने का अधिकार भीड़ को दे देना चाहिए.
(नि.सं.)
(नि.सं.)
8 वर्षीया बच्ची के साथ बलात्कार
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 18, 2012
Rating:

मधेपुरा टाइम्स के वर्ष गाठ पर हार्दिक बधाई ....
ReplyDelete