वि० संवाद०/२७ दिसंबर २०११
रेलवे के प्रति सरकार की उदासीनता तो जगजाहिर है ही,पर यहाँ नियुक्त अधिकारी और कर्मचारी भी चैन की नींद सोने में माहिर लगती है.हो भी क्यों न? दो ट्रेनों के भरोसे कौन दिन-रात यहाँ ड्यूटी करे.आर पी एफ यानी रेलवे प्रोटेक्शन पुलिस भी स्टेशन पर कहीं नजर नही आती.स्थिति ये है कि प्लेटफार्म पर कोई तड़प कर मर भी जाए या फिर कोई बड़ा अपराध हो जाए तो रेल प्रशासन का कोई आदमी झाँकने भी शायद ही पहुंचे.आज शाम से प्लेटफॉर्म पर एक महिला बेसुध गिरी-पड़ी है,पर रेल प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं.लगातार उल्टियां कर रही इस महिला की स्थिति इतनी खराब है कि ये कुछ बोल पाने में भी असमर्थ है.लोग बगल से गुजर जाते हैं और शायद मरा हुआ समझकर तेजी से आगे बढ़ जाते है.
मधेपुरा टाइम्स ने जब रेलवे प्रशासन के लोगों को जानकारी देने के लिए खोजा तो स्टेशन के सारे कार्यालयों में ताले लटके थे.अंत में एक एक व्यक्ति मिला जो अपने को लाईनमैन बता रहा था.उसने भी निराश होकर कहा कि खोजते हैं कोई मिलता है तो खबर करते हैं.अब कोई मिलेंगे या नहीं कहना मुश्किल है.कुल मिलाकर मधेपुरा रेलवे स्टेशन की स्थिति ये है कि यहाँ रात में शराबी और गलत काम करने वालों का ही राज चलता है.ऐसे में इस तरह बेहोश पड़ी महिला के साथ यदि कोई बड़ा हादसा हो जाए तो इन सबों के लिए रेल प्रशासन को जिम्मेवार ठहराया जाना चाहिए.
मधेपुरा का मुर्दा रेल प्रशासन,मर सकती है ये औरत
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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December 27, 2011
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