ठंढ बढ़ी तो राज्य सरकार ने निर्णय लिया कि सभी स्कूलों को १ जनवरी तक बंद रखा जायगा.आदेश के आलोक में जिला प्रशासन ने भी सभी सरकारी और निजी स्कूलों को बंद करने का आदेश दे दिया.पर अभी भी कुछ कौन्वेंट्स प्रशासन के इस आदेश को ठेंगा दिखा रहे है.इनकी चलती है सामानांतर सरकार.आदेश को जानते हुए भी स्कूल तो खुला रखे ही हैं ऊपर से सरकार से ही सवाल करते हैं कि सरकार को धूप नहीं दिखती?क्या माहौल है स्कूल को बंद रखने का?पढाई-लिखाई जरूरी नहीं है क्या?
आज सुबह जब मधेपुरा टाइम्स ने शहर भर का दौरा किया तो सरकार के निर्देश के अनुसार अधिकाँश बड़े स्कूलों को बंद ही पाया.बाहर नोटिस चिपका हुआ था कि शिक्षा निदेशक एवं जिला पदाधिकारी के आदेशानुसार स्कूल ०१.०१.२०१२ तक बंद रहेगा.पर जब हमने एक बच्चे को स्कूल जाते देखा तो पूछने पर उसने बताया कि मैं सेंट जॉन पब्लिक स्कूल जा रहा हूँ,जो अपनी मर्जी से चलता है.शहर के और भी एकाध स्कूल खुले थे जिन्हें जब हमने सरकार के आदेश की जानकारी दी तो उन्होंने कहा कि हम बंद कर लेते हैं.पर जब हम सेंट जॉन पब्लिक स्कूल पहुंचे तो डायरेक्टर साहब ने खुद के निर्णय को सरकार के निर्णय से ऊपर बताया.कहा सरकार को दिखता नहीं है कि कैसा मौसम है?जब कुहासा होगा तो हम बंद करेंगे और जब धूप होगी तो हम खुला रखेंगे ही.यानी सरकार और जिला प्रशासन का आदेश यहाँ गया रद्दी की टोकरी में.
दरअसल जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लुंजपुंज स्थिति के कारण कुछ कौन्वेंट्स इनके आदेश की धज्जी उड़ा देते हैं.इन्हें पता है प्रशासन की कार्यवाही से शायद ही इनका कुछ बिगड़ सके.
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सरकार के आदेश को दिखाया ठेंगा,ये हैं सरकार से ऊपर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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December 27, 2011
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