सुपौल से पंकज भारतीय/११ अक्टूबर २०११
“आओ इन तारीखियों में सुर्खियाँ पैदा करें,
इस जमीं की बस्तियों से आसमां पैदा करें.”
कुछ ऐसे ही जज्बे ने रिक्शा चालक ठनकलाल की बेटी प्रभा को राष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाई जो कल तक परीकथा जैसी फंतासी नजर आती थी.अब प्रभा राष्ट्रीय कराटे चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल कर एक साथ कई मिथकों को तोड़ने में सफल रही है.
सात सदस्यीय परिवार की गृहस्थी का रिक्शा खींचना ठनकलाल के लिए आज भी चुनौती है.बेटी प्रभा ने जब कराटे सीखने की जिद की तो पिता न नहीं कर सके.हालांकि पिता जानते थे कि रिक्शा चलाकर ऐसे शौक पूरे नहीं हो सकते,लेकिन पिता को अपनी बेटी पर भरोसा था.बाप का भरोसा रंग लाया और ऋषिकेश (उत्तराखंड) में ३० सितम्बर से १ अक्टूबर तक आयोजित राष्ट्रीय कराटे चैम्पियनशिप में प्रभा ने एक स्वर्ण व एक रजत पदक जीत कर सनसनी फैला दी.प्रभा बालिका विद्यापीठ,गनपतगंज में ९वीं कक्षा की छात्रा है.राघोपुर की गिरीपट्टी की रहने वाली प्रभा का स्कूल घर से पांच किलोमीटर दूर है,और अभी तक प्रभा को यह दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती है.आर्थिक विपन्नता की वजह से एक बार बीच में पढाई भी छोड़ चुकी है.पिता के अलावा एक भाई गैराज में नौकरी करता है.जबकि तीन बहनों में वह सबसे बड़ी है.बकौल प्रभा ‘हिम्मत कई बार टूटी है,लेकिन पिताजी और दोस्त मनीषा झा ने हौसला आफजाई में कोई कसार नहीं छोड़ी.प्रभा के कोच अजय भारती प्रभा के हौसले के मुरीद हैं.प्रभा की संघर्ष गाथा स्कूल की प्रधान कुमारी पुष्पा के बिना अधूरी है,जो समय-समय पर आर्थिक मदद करती रही है.
१४वीं राष्ट्रीय कराटे चैम्पियनशिप में सफल प्रतिभागियों के बीच से ही तीन लड़कियों का चयन इंटरनेशनल वर्ल्ड शोतो कप में होना है जो ११ से १३ नवंबर तक फिलीपींस में आयोजित होगा.ऐसे में अगर प्रभा फिलीपींस में अपना जलवा बिखेरने में सफल होती है तो कोई आश्चर्य नहीं होगा.
जज्बे ने दिलाई राष्ट्रीय पहचान
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 11, 2011
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