राकेश सिंह|११ अगस्त २०११
जिले के गंभीरतम मामलों में से एक इस मामले (मधेपुरा थानाकांड संख्यां-३०/२००३) में अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय कर दिए गए हैं और इसी १८ अगस्त से अब गवाहों की गवाही शुरू हो जायेगी.ये मामला था न्यायालय परिसर में बलबाईयों द्वारा घुसकर सीजेएम की कार(BR-43 o685) में आग लगा देने का,और २० फरवरी २००३ के उस काले दिन को सैकड़ों लोगों के सामने न्यायालय की कार धू-धू कर जल गयी.कार के ड्राइवर अजय ने जब कार को बचाने का प्रयास किया था तो बलबाईयों ने उसे पीटना शुरू कर दिया और अजय को जान बचाकर भागना पड़ा था.देखा जाय तो ये घटना दुस्साहस की चरम को पार करने जैसा था और घटना का कारण मधेपुरा को निश्चय ही कलंकित करता है.घटना की शुरुआत तब हुई थी जब एक स्थानीय कॉलेज में चल रही परीक्षा में चोरी को रोकने के प्रयास किये गए थे.छात्रों ने उसपर बवाल काटा और जुलुस की शक्ल में परिणत होकर वे सड़कों पर भी तोड़-फोड़ करना शुरू कर दिए थे.जाहिर सी बात है छात्रों को चोरी कराने वाले अधिकांश सहयोगी आपराधिक चरित्र के थे.पहले तो भीड़ ने प्रखंड कार्यालय को आग के हवाले किया और फिर मुख्य
मार्ग पहुंचे तो न्यायालय परिसर में घुस गए और कई इजलास के शीशे को भी तोड़ा.कुछ ने तो कई केस रिकॉर्ड्स को भी गायब कर दिया.बलबाईयों में से कुछ ने हाथ में बोतल भी रखा था जिसमे कोई द्रव्य पदार्थ था.फिर किसी ने कार पर कुछ छींटा और मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की कार को आग के हवाले कर दिया.कर्मचारियों ने रोकना चाहा तो उन्होंने इन्हें खदेड़ दिया.
मार्ग पहुंचे तो न्यायालय परिसर में घुस गए और कई इजलास के शीशे को भी तोड़ा.कुछ ने तो कई केस रिकॉर्ड्स को भी गायब कर दिया.बलबाईयों में से कुछ ने हाथ में बोतल भी रखा था जिसमे कोई द्रव्य पदार्थ था.फिर किसी ने कार पर कुछ छींटा और मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की कार को आग के हवाले कर दिया.कर्मचारियों ने रोकना चाहा तो उन्होंने इन्हें खदेड़ दिया.
पूरे घटनाक्रम में सबसे शर्मनाक भूमिका पुलिस की रही.मुख्यालय की पूरी की पूरी पुलिस, जनता जाय भांड में, अपनी जान बचाने के लिए बिलों में घुसी नजर आई.ऐसा लग रहा था जैसे पूरे मधेपुरा पर इन बलबाईयों का ही अधिकार हो चला था.और ये कई घंटों चला.न्यायालय की जलती कार देखकर मानो किसी को भी विश्वास नही हो रहा था.खैर देर शाम जब बलबाईयों ने शहर छोड़ा तब पुलिस बिलों से बाहर आयी और अपने हथियार चमकाते हुए बलबाईयों को खोजने का ड्रामा करने लगी.जो लोग उस दिन की घटना के गवाह बने उनमे अब शायद ही कोई आपात स्थिति में पुलिस की बहादुरी पर भरोसा कर सके.बाद में भी उन सैंकडों बलबाईयों में से पुलिस नाममात्र को
ही नामजद कर सकी.ये बात भी पुलिस के ख़ुफ़िया तंत्र के पूरी तरह निकम्मी होने का संकेत देती है.नामजद अभियुक्तों में से अभी मंटू कुमार, राजू कुमार राजा, नंदन कुमार, राहुल सिंह, दिलीप यादव तथा पंकज यादव के नाम प्रमुख हैं.अभियुक्तों को गिरफ्तार करने के बाद बड़ी मुश्किल से लंबे समय के बाद उच्च न्यायलय से जमानत मिल सकी थी.
ही नामजद कर सकी.ये बात भी पुलिस के ख़ुफ़िया तंत्र के पूरी तरह निकम्मी होने का संकेत देती है.नामजद अभियुक्तों में से अभी मंटू कुमार, राजू कुमार राजा, नंदन कुमार, राहुल सिंह, दिलीप यादव तथा पंकज यादव के नाम प्रमुख हैं.अभियुक्तों को गिरफ्तार करने के बाद बड़ी मुश्किल से लंबे समय के बाद उच्च न्यायलय से जमानत मिल सकी थी.
न्यायालय ने तकरीबन आठ साल के बाद अभियुक्तों के विरूद्ध आरोप तय करने के बाद गवाही लेने की प्रक्रिया शुरू की और अब आम लोगों में उत्सुकता होगी कि इस केस का परिणाम क्या होता है?
न्यायालय की कार जलाने के मामले में गवाही शुरू
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 11, 2011
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