अधिकांश सांसदों की मंशा साफ़ नहीं,सभी दिख रहे भ्रष्टाचार के पोषक

क्या जनतंत्र हार जाएगा भ्रष्टतंत्र से?अन्ना को मिले अपार जन समर्थन की भी परवाह सरकार को नहीं लगती है.सर्वदलीय बैठक के बाद सरकार के तेवर बदले नजर आ रहे हैं.सर्वदलीय बैठक में लगभग सभी दलों ने कहा संसद सर्वोच्च है,और अन्ना के आगे कमजोर होने से ये मान्यता बदल सकती है.बस क्या था,सरकार को अपने गिरने की चिंता घटती नजर आई और प्रणव मुखर्जी के साथ टीम अन्ना की रात की वार्ता बिना नतीजे के समाप्त हो गयी.कल तक टीम अन्ना की सुनने वाली कॉंग्रेस रात की वार्ता में टीम अन्ना को यहाँ तक कह डाला कि अन्ना अगर अनशन रखना चाहते हैं तो ये उनकी समस्या है.समय सीमा पर तो बात नहीं ही बनी,साथ ही प्रधानमंत्री का ये वक्तव्य कि हम टीम अन्ना की सभी बाते नहीं मान सकते है,अब दर्शा रहा है कि सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन और प्रदर्शन की खास चिंता नहीं है.

     बड़ा सवाल यह है कि क्या ये सांसद एक बार चुन लिए जाने के बाद जनता की इच्छा को इस तरह ताक पर रख सकते हैं.आज पूरा देश भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अन्ना के समर्थन में उतर आया है.पर सांसदों को शायद ही इसकी चिंता है.क्या ये नेता सिर्फ अपनी सुख सुविधा के लिए भ्रष्टाचार का दामन नहीं छोड़ना चाहते हैं? विदेशों में जमा काला धन वापस लाने के मुद्दे पर भी विपक्ष भी मौन है और कहा जाता है कि सरकार ने स्विटजरलैंड की सरकार से समझौते कर लिए हैं जिसके मुताबिक पहले से किसका कितना धन वहां जमा है, इसका ब्यौरा अब नहीं उजागर होगा.विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी भी अन्ना के समर्थन में खुल कर आने से डरती है.शायद इसलिए कि यदि भ्रष्टाचार खत्म हो गया तो अधिकांश नेताओं का पॉलिटिक्स में आने का मकसद ही समाप्त हो जाएगा.देश सेवा कौन करे? यहाँ तो लूटने के इरादे से ये पॉलिटिक्स में बने हुए हैं.नहीं तो यदि इसी समय जनता के चुने ये सांसद इस्तीफे की पेशकश कर दें तो सरकार को झुकना पड़ेगा.पूरे घटनाक्रम को चुपचाप देखने के पीछे विपक्ष की रणनीति ये भी हो सकती है कि किसी तरह सरकार गिरे और फिर से जब चुनाव हों, तो कॉंग्रेस का सफाया हो जाय और बिना खास मेहनत के वे सत्ता हासिल कर सकें.ऐसे में जनता को चाहिए कि वे अपने सांसदों पर इस्तीफे की पेशकश का दवाब बनायें जिससे सरकार झुके और जनलोकपाल को पारित कराया जा सके.
(मधेपुरा टाइम्स ब्यूरो)  
अधिकांश सांसदों की मंशा साफ़ नहीं,सभी दिख रहे भ्रष्टाचार के पोषक अधिकांश सांसदों की मंशा साफ़ नहीं,सभी दिख रहे भ्रष्टाचार के पोषक Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 25, 2011 Rating: 5

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