जाने किस जीवन की याद दिलाती है.

ये बादलों से घिरा आसमान,
ये फूलों से भरी वादियाँ,
जाने क्यों मन को सताती है?
ये हवाओं का आकर खिलखिलाना,
ये मादक महक का फ़ैल जाना,
जाने किस जीवन की याद दिलाती है.
     वो बारिस में नहाना,
     वो वृक्षों का डोल जाना,
     जाने क्यों मन को सताती है?
     फिर किसी का याद आना,
     और अकेलेपन का भाना,
     जाने किस जीवन की याद दिलाती है?
वो जीवन जिसमे न डर है,
और न ही द्वेष है,
वो जीवन जिसमे न सीमा,
और न ही क्लेश है,
इस सुधा की रागिनी ख़्वाबों में आती है.
जाने किस जीवन की याद दिलाती है?

--आदित्य सिन्हा,मधेपुरा (वर्तमान में लोकप्रिय टीवी सीरियल लापतागंज में बतौर हेड क्रियेटिव डाइरेक्टर कार्यरत हैं)
जाने किस जीवन की याद दिलाती है. जाने किस जीवन की याद दिलाती है. Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 20, 2011 Rating: 5

1 comment:

  1. achchhi kavita.Prakrriti ki har ada ka drishya hai

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