जानिये चर्चित ‘राजाबास बाँध’ और कोशी के खतरे को

राजाबास बाँध
राजाबास बाँध से लौटकर पंकज भारतीय/२० जून २०११
मानसून के आगमन के साथ ही कोशी तटबंध से जुड़े अफवाहों का बाजार गर्म है.भेडिया आया-भेडिया आया की तर्ज पर कभी बीरपुर में अफरा-तफरी मचती है तो कभी मधेपुरा के लोग अपना घर-बार छोड़ने लगते हैं.दरअसल यह सब अफवाहों की वजह से हो रहा है.बहुत कम ही लोगों को तटबंध से जुडी बातों की समझ है और कम ही लोग इस बात को समझ सकते हैं कि बाढ़ किस परिस्थिति में आती है.सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बाढ़ की कोई भविष्यवाणी नही की जा सकती है.
     हाल के दिनों में नेपाल का राजाबास बाँध मीडिया में सुर्ख़ियों में रहा है और अफवाह का भी केन्द्र
रहा है.राजा बास से जुड़े अफवाहों की वजह से न केवल कोशी योजना से जुड़े इंजीनियरों की नींद हराम हो चुकी है बल्कि सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णियां और अररिया के प्रशासनिक अधिकारी भी राजाबास के भूत से सहमे हुए हैं.
    सवाल यह है कि राजाबास क्या है और क्यूं आसानी से अफवाहों का केन्द्र बन जाता है? सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि कोशी नदी को १९६२ में दो तटबंधों के बीच कैद किया गया. एक का नाम पूर्वी कोशी तटबंध है और दूसरे का नाम पश्चिमी कोशी तटबंध है.पूर्वी कोशी तटबंध कोशी और पूर्णियां प्रमंडल से सटा इलाका है.पश्चिमी कोशी तटबंध की बात करना यहाँ उचित नही होगा क्योंकि कोशी और पूर्णियां के इलाके को इससे कोई खास वास्ता नही है.
     पूर्वी कोशी तटबंध भीमनगर स्थित कोशी बराज से चलकर सुपौलं और सहरसा जिला होते हुए १२५ किमी की दूरी तय कर कोपडिया में जाकर खत्म होती है.बराज से नेपाल की और निकलने वाली पूर्वी कोशी तटबंध को पूर्वी बाहोत्थान तटबंध कहते हैं.इसकी कुल दूरी ३५ किमी है.
     पूर्वी बाहोत्थान बाँध के २५.५७ से २६.४० किमी तक राजाबास स्थित है.इसी क्षेत्र में १२.८ किमी पर कुसहा स्थित है, जहाँ से २००८ में तटबंध टूटने के बाद भारी तबाही मची थी.इसी तटबंध पर २३.५२ किमी प्रकाशपुर तटबंध है जहाँ पर भी बार-बार तटबंध टूटने की अफवाह फैलती है.
    सवाल यह है कि क्यों राजाबास और प्रकाशपुर में तटबंध टूटने की बात सामने आती है? दरअसल वर्ष २००२ से ही कोशी नदी राजाबास के तटबंध के करीब से होकर गुजरती है.तटबंध और नदी के बीच का फासला केवल १७ मीटर है.इसी वजह से लोगों को यह लगता है कि अधिक डिस्चार्ज होने की स्थिति में तटबंध टूट जायेगा.हालांकि यहाँ तटबंध बचाने की मुकम्मल तैयारी है.तटबंध बचने के लिए प्राकोपाइन और बोल्डर का पर्याप्त भंडारण किया गया है.विषम परिस्थिति में यदि यहाँ तटबंध टूटता है तो इसका सबसे ज्यादा असर पूर्णियां और अररिया जिले पर पड़ेगा.
प्रकाशपुर में तटबंध
  कोशी भी बड़ी अजीबोग़रीब नदी है.यह हमेशा धारा बदलने के लिए बदनाम रही है.ऐसे में कोशी ने जब भी धारा बदली है तबाही मचाई है.यही वजह है कि कोशी १९६८ में ९.१३ लाख क्यूसेक डिस्चार्ज को सहन करती है तो वर्ष २००८ में १.६४ लाख क्यूसेक डिस्चार्ज में ही दम तोड़ती नजर आती है.भारतीय प्रभाग में ० से २७ किमी के बीच कई तटबंधों पर कोशी का दवाब है.इस आधार पर इस इलाके में खतरे की सम्भावना से इनकार नही किया जा सकता है.भारतीय प्रभाग में इन भागों में अगर किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न होती है तो इसका सर्वाधिक असर सुपौल और सहरसा जिले पर पड़ेगा.
     निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि अगर सामान्य गति से कोशी बहती रही तो कोई समस्या उत्पन्न नही होगी और यदि शोख और चंचल कोशी उच्छृंखल हुई तो एक बड़ी त्रासदी का भी कारण बन सकती है.
जानिये चर्चित ‘राजाबास बाँध’ और कोशी के खतरे को जानिये चर्चित ‘राजाबास बाँध’ और कोशी के खतरे को Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 20, 2011 Rating: 5

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