कुसहा त्रासदी २००८ की जांच के लिए बनी ‘कोशी बांध कटान न्यायिक जांच आयोग’ का गठन सरकार ने सितम्बर २००८ में किया था. इसका मकसद कुसहा त्रासदी की जांच कर तीन माह के अंदर रिपोर्ट समर्पित कर ये उजागर करना था कि इस प्रलय के लिए जिम्मेवार कौन है.लेकिन तीन वर्ष बीतने को है और अब तक आयोग अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नही कर सका है.इस बीच कई बार आयोग के कार्यकाल को बढ़ाया भी गया.हैरत की बात तो यह है कि जब आयोग अभी तक जांच की दिशा में किसी मुकाम पर नही पहुंच सकी है तो फिर लगभग नब्बे लाख (८९,८६,७८५/रू०) रूपये ३१ मार्च २०११ तक मे कहाँ ,कैसे और किस मद में इस आयोग पर खर्च हुए. इससे साफ़ लगता है कि सरकार के इशारे पर प्रलय के जिम्मेवार को बचाने की साजिश चल रही है और लोगों को जांच के नाम
पर गुमराह किया जा रहा है.अगर नब्बे लाख रूपये से सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों का घर बन जाता या डायवर्सन के सहारे चल रहे मधेपुरावासी के लिए स्थायी बलुआहा पुल बन कर तैयार हो जाता तो इस इलाके के लोगों को काफी राहत पहुँच सकती थी.
पर गुमराह किया जा रहा है.अगर नब्बे लाख रूपये से सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों का घर बन जाता या डायवर्सन के सहारे चल रहे मधेपुरावासी के लिए स्थायी बलुआहा पुल बन कर तैयार हो जाता तो इस इलाके के लोगों को काफी राहत पहुँच सकती थी.
इस सनसनीखेज तथ्य का खुलासा आर टी आई कार्यकर्ता अंगद यादव द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गयी सूचना पर बिहार सरकार, गृह विभाग के पत्रांक ०१/विविध- न्या० जाँ० आ०- ०१/०९-६० दिनांक-०५-०४-२०११ के द्वारा दी गयी जानकारी में हुआ.दी गयी सूचना में कहा गया है कि “कोशी बाँध कटान न्यायिक जांच आयोग एक सदस्यीय है.इसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेश वालिया, भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश, पटना उच्च न्यायालय है तथा आयोग के सचिव के रूप में श्री सुरेन्द्र प्रसाद सिन्हा, से० नि० भा० प्र० से० माह ११ नवंबर २००८ से १५ जुलाई २००९ तक एवं वर्तमान सचिव श्री रामशोभित पासवान, से० नि० भा० प्र० से० माह ०१ अक्टूबर २००९ से कार्यरत है.वर्तमान में दिनांक ३०-०९-२०११ तक आयोग का कार्यकाल बढ़ाया गया है.आयोग के गठन सितम्बर २००८ से ३१ मार्च २०११ तक आयोग के द्वारा सभी प्रकार के व्यय रू० ८९,८६,७८५/ किये गए हैं.”
कुल मिलाकर देखा जाय तो आयोग सफ़ेद हाथी साबित हो रहा है और सरकारी कोष को लाखों का चूना लगता दिख रहा है.
सनसनीखेज खुलासा: नब्बे लाख निकला निरर्थक
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 26, 2011
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kuch bhi nahi ho sakta kyonki sarkar mili hui hai
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