रूद्र ना० यादव/१८ जून २०११
आखिरकार कोशी पर पायलट चैनल मामले पर नेपाल ने अपना नया पैंतरा दिखा ही दिया.केएचएलसी (कोशी हाई लेवल कमिटी) ११.३ किमी पायलट चैनल के कुल काम में से मात्र १.४ किमी में काम करने की इजाजत दी है.दरअसल पायलट चैनल का महत्वपूर्ण उद्येश्य कोशी की धारा को बीच में ले जाना था जिससे स्परों पर दबाव कम पड़ सके.कहा जाय तो नेपाल के इस फैसले के पीछे उसकी बड़ी कमजोरी दिखती है.नेपाल के आम नागरिक समेत माओवादी पार्टी का मानना है कि पायलट चैनल का काम सही तरीके से होने पर बिहार का खतरा तो कम हो जाएगा पर नेपाल में बाद का खतरा काफी हद तक बढ़ जाएगा.जबकि हकीकत इसके विपरीत है.अब तो ऐसा भी प्रतीत होता है कि नेपाल सरकार इसी तरह के अडंगे को लगाने के लिए जानबूझ कर वार्ता में विलम्ब कर रही थी.
मालूम हो कि नेपाल में बाँध की कुल लम्बाई ३२ किमी है जिसमे से ११.३ किमी काम होने से बाद का खतरा काफी कम हो सकता था.अब सबसे बड़ा सवाल यह कि शेष ९.९ किमी पर काम करने हेतु नेपाल की रोक से बिहार में बाद की आशंका से इनकार नही किया जा सकता है.ऐसे में आवश्यकता है कि प्रशासन अपनी बाक़ी तैयारी को दुरुस्त रखे और सभी विकल्पों पर विचार करे ताकि वर्ष २००८ जैसी तबाही का मंजर फिर से देखने को न मिल सके.
मालूम हो कि नेपाल में बाँध की कुल लम्बाई ३२ किमी है जिसमे से ११.३ किमी काम होने से बाद का खतरा काफी कम हो सकता था.अब सबसे बड़ा सवाल यह कि शेष ९.९ किमी पर काम करने हेतु नेपाल की रोक से बिहार में बाद की आशंका से इनकार नही किया जा सकता है.ऐसे में आवश्यकता है कि प्रशासन अपनी बाक़ी तैयारी को दुरुस्त रखे और सभी विकल्पों पर विचार करे ताकि वर्ष २००८ जैसी तबाही का मंजर फिर से देखने को न मिल सके.
नेपाल का नया अडंगा,पायलट चैनल पर होगा आंशिक काम
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 18, 2011
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ab baarish mein kam shuru ho raha hai...itne dino tak kya sarkar time pass kar rahi thi...
ReplyDeleteOur goverment are not doing anything for our beloved kosi john people. Goverment should teach a lesson from the flood of 2008
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