रूद्र नारायण यादव/०६ मार्च २०११
कहते हैं विपत्ति अकेले नही आती.सीमांचल के लोगों का भी विपत्ति पीछा नही छोड़ रही है.पहले बाढ़ फिर सुखाड़ की मार,फिर ओलावृष्टि ने यहाँ के गरीब खासकर किसानों के सपने को चूर किया.और अब अच्छी फसल की उम्मीद लगाये किसानों पर एक और मार पडी है.सूर्यमुखी के फूल में दाने ही नहीं हैं.
मधुबन पंचायत के गंगौरा गाँव के सूर्यमुखी किसान की आख़िरी उम्मीद भी टूटती नजर आ रही है.किस्सन पवन झा मायूस होकर कहते हैं कि पौधे को लहलहाता देखा तो लगा था इस बार बदकिस्मती से
पीछा छूटेगा,पर अब जब फसल कटाई का समय आया तो फूल में दाने ही नही हैं.जाहिर सी बात है,पवन जैसे सैकड़ों किसान इसबार नकली बीज की मार झेल रहे हैं.इस ताजा झटके से सीमांचल के हजारों किसान भुखमरी के कगार पर पहुँच गए हैं.
पीछा छूटेगा,पर अब जब फसल कटाई का समय आया तो फूल में दाने ही नही हैं.जाहिर सी बात है,पवन जैसे सैकड़ों किसान इसबार नकली बीज की मार झेल रहे हैं.इस ताजा झटके से सीमांचल के हजारों किसान भुखमरी के कगार पर पहुँच गए हैं.
प्रशासन और अधिकारी मौन हैं.नकली बीज बेचने वालों पर प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नही देख रही है.किसान कहते हैं ये दुकानदार और अधिकारियों की मिलीभगत है और शिकार हम हुए हैं.अधिकारी कदम उठाने की सिर्फ बातें करते हैं.बीज दुकानदार अन्य कारण को इसके लिए जिम्मेवार ठहराते हैं.ऐसी स्थिति में किसानों के पास सर पर हाथ रख रोने के अलावे कोई चारा नही है.
नीतीश सरकार किसानों की दशा सुधारने हेतु कदम उठाने की बात कर रही है, पर निचले स्तर के किसानों तक उनके सुधार कार्यक्रम के परिणाम कब तक पहुँच पाते हैं,देखना अभी बाक़ी है.
नकली बीज ने दिखाया बर्बादी का मुंह:फूल निकला दानाविहीन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 06, 2011
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