कोई भी व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत स्थिति और विकल्पों के आधार पर नौकरियों अथवा कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम का चुनाव कर सकता हैं | बहुत से लोग जीवनयापन के लिए नौकरियों को अधिक प्राथमिकता देते हैं | ऐसी नौकरी चाहने वाले किसी भी चीज में सुविधा अथवा सुरक्षा ढूंढ़ते हैं | प्राइवेट क्षेत्र में होने वाली मंदी का असर कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम एवं सरकारी नौकरियों से दूर रहता हैं |
आज कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम और नौकरियों के बीच एक खासा अंतर देखने को मिलता हैं , साथ ही इसके अलावा इन्टरनेट और कंप्यूटर के बढ़ते प्रयोग को देख स्वतंत्र और स्वयं कार्यरत कंपनियों अथवा व्यक्तियों की संख्या भी दिनप्रतिदिन बढती हुई नजर आ रही हैं | कॉन्ट्रैक्ट और नौकरी दोनों ही पदों में औद्योगिकी के क्षेत्र में लाभ है तो हानि भी है | ऐसी कम्पनियाँ जो अपने काम करवाने के लिए कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों को जितना वेतन देती है उनकी अपेक्षा कॉन्ट्रैक्टर के पे स्केल भिन्न-भिन्न होते हैं | कॉन्ट्रैक्ट कंपनियों की लागत स्थाई नौकरियों की अपेक्षा कम होती है क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट कंपनियों को कोई भी लाभ, किसी भी प्रकार की बीमा या छुट्टी और त्यौहार का वेतन देने की आवश्यकता नहीं होती हैं |
सामान्यतया कॉन्ट्रैक्ट उपलब्ध कराने वाली कंपनीयों की मांग नौकरियों में कर्मचारियों की कमी की वजह से हो रही हैं | जिसमे अब तक कम लागत भी शामिल हैं | बड़े पैमाने पर कॉन्ट्रैक्ट रोजगार का रुझान इन क्षेत्रों में अधिक है जैसे इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी और बैंक आदि | मगर उद्योगों जैसे रिसर्च और वफादार नौजवान कार्यबल के लिए भी इनकी ( कॉन्ट्रैक्ट) की मांग है परन्तु बायोटेक एवं दवा इत्यादि उद्योगों में अधिकतर कॉन्ट्रैक्ट रोजगार नहीं होते | आर्थिक मंदी के समय में कुछ कंपनिया तो अपने रोजगार का कार्यभार संभालने हेतु बाहरी अथवा विदेशी स्रोतों को देना अपेक्षाकृत अधिक पसंद करती हैं | परन्तु इस तरह की कंपनी में होने वाले बदलाव से नौकरी में कार्यरत कर्मचारी अधिक प्रभावित हो सकते हैं ,यदि उनके पास तुरंत कोई दूसरी नौकरी मिलाने की संभावना नहीं है तो | इन सब क्षणों से मुक्ति के लिए कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम की स्थिति बहुत ही लाभदायक होती है | जो व्यक्ति स्वतंत्र और अपने काम में लचीले होते हैं उन महत्वाकांक्षी व्यक्तियों के लिए कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम नए-नए रोजगार की संभावनाओ को प्रदान कराता है | एक भी कॉन्ट्रैक्टर कभी भी अपने आपको लम्बे समय के लिए किसी कंपनी में नौकरी करने पर मिलने वाले पद अथवा स्वयं को किसी संस्था से कम महसूस नहीं करते हैं |
आज कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम और नौकरियों के बीच एक खासा अंतर देखने को मिलता हैं , साथ ही इसके अलावा इन्टरनेट और कंप्यूटर के बढ़ते प्रयोग को देख स्वतंत्र और स्वयं कार्यरत कंपनियों अथवा व्यक्तियों की संख्या भी दिनप्रतिदिन बढती हुई नजर आ रही हैं | कॉन्ट्रैक्ट और नौकरी दोनों ही पदों में औद्योगिकी के क्षेत्र में लाभ है तो हानि भी है | ऐसी कम्पनियाँ जो अपने काम करवाने के लिए कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों को जितना वेतन देती है उनकी अपेक्षा कॉन्ट्रैक्टर के पे स्केल भिन्न-भिन्न होते हैं | कॉन्ट्रैक्ट कंपनियों की लागत स्थाई नौकरियों की अपेक्षा कम होती है क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट कंपनियों को कोई भी लाभ, किसी भी प्रकार की बीमा या छुट्टी और त्यौहार का वेतन देने की आवश्यकता नहीं होती हैं |
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अंततः मैं यहीं कहूँगी कि युवाओं के कैरियर कि शुरुआत के लिए कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम बेहतर विकल्प हैं |
विद्या गुप्ता, मधेपुरा
कैरियर की शुरुआत के लिए कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम बेहतर है
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 03, 2011
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![कैरियर की शुरुआत के लिए कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम बेहतर है](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhh0i8SXlMD06YfxKKSDjr4Dcl36I371ioyvRYecdjFqnGik4u7tNhNMSNHTBMRuTln3-qIgaCBXGQUJUoscigRrmXOSUgaaaGSOGG_cl3Yz56jimEYpU0ITShkWl8yf7HzP8ik1o5Jhh9Z/s72-c/dubai-real-estate-career.jpg)
धन्यवाद विद्या गुप्ता जी
ReplyDeleteआपके इस महत्वपूर्ण लेख के लिए । बिहार और अन्य राज्यों मे आज कॉन्ट्रैक्ट पर बहाली होती है जिसे आप उचित ठहरा रही है । जो कुछ हद तक सही है । कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम से व्यक्ति का विकास होता है उसमे आत्मविश्वास आते है पर कार्यालय मे सभी व्यक्ति कॉन्ट्रैक्ट पद पर नही होते है जिनमे सामंज्स्य नही बन पता है और विबिन्न समस्याएँ का सामना करना पड़्ता है । कॉन्ट्रैक्ट पद के लिए सरकार/एजेंसी के द्वारा उचित मानदेय का प्रवाधान नही होता है और उन्हे सभी सुविधाए नही दी जाती है । अत: आपसे अनुरोध है कि आप किसी कार्यालय मे जाकर वहा की वास्त्विक स्थिति देखे और उसका अधय्यन जरुर करें । जिससे आपकी राय मे परिवर्तन जरुर होगा ।
धन्यवाद
गुंजन कुमार
http://gktalk.blogspot.com
This is very appreciable article i also think that something is better then nothing in this non employment era .
ReplyDeleteAnjula,Mumbai
जब किसी व्यक्ति को अपने आप पर विश्वास नही होता है तो व्यक्ति के अन्दर अवसाद की स्थिति आ जाती है और जो भी उसे मिलता है उसी मे वह खुश हो जाता है । अत: आप धनात्मक सोच के साथ आगे दढ़े और अपने हक को पहचाने । हक मागा नही जाता है छीना जाता है ।
ReplyDeleteधन्यवाद
गुंजन कुमार
यह अधिकार और शक्ति का मामला नहीं है | यह जीवन की शुरुआत की बात है | जरा सोचे जो अपने अध्ययन और पुस्तकों का खर्च नहीं उठा सकते हैं उनके लिए यह राम वाण साबित होता है | यह (कॉन्ट्रैक्ट) न केवल जीवन की अंतिम उपलब्धि है यद्यपि यह नए जीवन की शुरुआत है ,और कदाचित ये उपलब्धि उन्ही को प्राप्त होगी जो इसकी लालसा रखते है | उनके लिए (conttracter) यह निश्चित रूप से उन्नति का श्रोत है न की उन्नति की चरम सीमा | और यह उनके आत्मविश्वास और प्रतिभा की क्षमता से प्राप्त होगा न की छिनने की शक्ति से |कदाचित ये सकारात्मक सोच के उदाहरण में से एक है | कभी कभी हम बड़ा करने की चक्कर मे उसे अनदेखा कर देते है जो हमारे जीवन मे मील पत्थर साबित हो सकता था | अतः मै यह नहीं कहती की इसे व्यक्तिगत रूप से ले बल्कि उसे विश्वस्तरिये सोच के रूप मे आत्मसात करे |
ReplyDeleteधन्यवाद ,अंजुला गुप्ता ,मुंबई
धन्यवाद आपके इस टिप्पणी के लिए ।
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