रूद्र नारायण यादव/१६ जनवरी २०११
मधेपुरा पुलिस शहरी क्षेत्र में जो भी करामात दिखा कर अपराध नियंत्रण कर ले,अभी भी दियारा क्षेत्र के सैकड़ों अपराधियों की बंदूकें इस क्षेत्र में निर्बाध गरजती रहती हैं.अपराधियों द्वारा क्षेत्र के अधिकाँश किसानों से वसूली जाते है लेवी,और जो करते हैं लेवी देने में ना-नुकुर उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है.मौत के भय से किसानों को देना पड़ता है तय की गयी टैक्स की राशि, जो औसतन पांच हजार रूपये प्रति एकड़ होती है.यह बात दीगर है कि अक्सर रंगदारी से वसूल की गयी राशि के बंटवारे पर हो जाता है विवाद और फिर होता है गैंगवार. आपसी विवाद में मारे जाते हैं कुछ अपराधी.और चैन की सांस लेती है जनता और पुलिस.इसी तरह के गैगवार में विगत चार माह में मारे जा चुके हैं आठ अपराधी.मधेपुरा के दियारा क्षेत्र जो अधिकाँश चौसा,पुरैनी आदि थान्तार्गत आते हैं,नदी के किनारे होने के कारण यहाँ के अपराधी पुलिस की गिरफ्त में नही आ पाते हैं.पुलिस संसाधन का रोना रोती है.कहना सही भी है.दरअसल इस क्षेत्र की प्राकृतिक बनावट ही अपराधियों के फलने-फूलने का सबसे बड़ा कारण है.इस क्षेत्र की सीमा दूसरे जिले से सटे होने और नदियाँ होने के कारण पुलिस के पहुँचने की सूचना पाते ही अपराधी नाव आदि से दूसरे जिले पार हो जाते है.
पर अब मधेपुरा पुलिस ‘रिवर पुलिस एसोसिएशन’ बनाने पर विचार कर रही है.यह पुलिस निपुण होगी नदियों में भी अपराधियों को खदेडकर पकड़ पाने में.अगर दियारा क्षेत्र के सभी जिलों में ‘रिवर पुलिस एसोसिएशन’ कारगर साबित हुई तो जल्द ही दियारा क्षेत्र भी अपराधमुक्त हो सकेगा और इस क्षेत्र के किसान भी राहत की सांस लेंगे.
मधेपुरा के दियारा क्षेत्र में अब भी गरजती है अपराधियों की बन्दूक
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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January 16, 2011
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