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रूद्र नारायण यादव/२९ दिसंबर २०१०
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जिले में जहाँ कालाजार को रोकने के लिए सरकार द्वारा विशेष अभियान की बात कही जा रही है,वहीं जिला प्रशासन और सिविल सर्जन की लापरवाही से करीब पांच सौ बोरा डीडीटी सड़ कर बर्बाद हो गया.जिसकी कीमत लाखों में आंकी जा रही है.प्राप्त जानकारी के अनुसारवर्ष २००८ के कोशी त्रासदी के बाद ही ये डीडीटी छिडकाव हेतु यहाँ आया था.बाढ़ के बाद इन डीडीटी का छिड़काव होना था,पर इसे सड़ा देना बेहतर समझा गया.और ये गोदाम जहाँ ये डीडीटी सड़ा पड़ा रखा हुआ है,सिविल सर्जन के कार्यालय के बगल में ही है.ये अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही को दर्शाता है.अब इन डीडीटी के बोरे का ये हाल है कि ये एक्सपाइर हो चुका है और अब ये छिडकने लायक नही रह गया है.जिला प्रशासन द्वारा काला-ए-जार अभियान की पोल खुल चुकी है.बताया जाता है कि उक्त डीडीटी के छिड़काव करने हेतु कर्मचारियों को भुगतान की जाने वाली राशि तक का अलॉटमेंट आ चुका था.पर इस कार्य हेतु न तो इस राशि का भुगतान कर्मचारियों को किया गया और न ही इस लाखों के डीडीटी को बचाने की कोई पहल ही की गयी.
इस घटना से तो यही लगता है कि सुशासन में सरकार लाख दावे करें,पर अधिकारी की लापरवाही से राज्य में बहुत कुछ सुधरने से रहा.
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