अगर हम मधेपुरा जिले के २०१० का पुनरावलोकन करें तो जरा हटके एक खास बात उभर कर सामने आयी है.न्यायालय में दर्ज होने वाले मामलों में जहाँ अन्य अपराधों में कमी आई वहीं लड़कियों के अपहरण के कई मामले दर्ज कराये गए.पर अधिकाँश मामला उलटा निकला.ये अपहरण नहीं था बल्कि प्रेम प्रसंग में प्रेमी-प्रेमिकाओं द्वारा उठाया गया आधुनिक कदम था.मधेपुरा जिले में पूरे वर्ष में करीब ढाई दर्जन मामलो की कहानी यही कहती है कि युवा वर्ग का धैर्य अब जबाव दे चुका है.कई मामले ऐसे जिनमे प्रेमी पहले से शादीशुदा और बाल बच्चेदार थे.दरअसल एक दूसरे को देख कर यहाँ प्रेमी-प्रेमिकाएँ एक विशेष रणनीति
बनाकर प्यार को अंजाम तक पहुंचा रहे हैं.घर में विरोध को देखते वे घर से भाग कर शादी कर ले रहे हैं.बालिगों के प्रेम को थाने यहाँ तक कि न्यायालय भी जाने-अनजाने समर्थन दे रही है.इनके भागने पर लड़की के पिता द्वारा उनकी नाबालिग लड़की के अपहरण का मामला थाने में दर्ज कराया जाता है.रणनीति के अनुसार लड़की न्यायालय में उपस्थित होती है और अपने प्रेम का इजहार न्यायालय के समक्ष करते हुए लड़के के घर ही जा कर रहने का आदेश देने की प्रार्थना न्यायालय से करती है.यानी अपहरण का मामला झूठा साबित.बाद में प्रेमी न्यायालय में उपस्थित होकर जमानत करवा लेता है,और फिर मियां-बीबी के साथ-साथ रहने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है.पर वैसे मामलों का क्या,जिनमे प्रेमी अपनी पत्नी और बच्चों को छोड़कर दूसरी लड़की को भगा ले जाता है और लड़की उसी बेवफा आशिक के साथ रहने को तैयार हो जाती है.
आज की ही बात लें तो मुरलीगंज की ही एक मारवारी परिवार की लड़की एक शादीशुदा लड़के से साथ कुछ दिन पूर्व भागने के बाद आज न्यायालय में उपस्थित हुई और उस प्रेमी के साथ ही रहने को तैयार थी जिसकी पहली पहली पत्नी गर्भवती है.दरअसल समाज के सारे पुराने मापदंड की धज्जियाँ उड़ रही है जिसके पीछे आज की फिल्मे,टीवी सीरियल्स,समाज में लड़कियों को आगे बढाने की होड़ भी बहुत हद तक जिम्मेवार हैं.जो भी हो,अब आवश्यकता है हमें नए ढंग से संबंधों के विषय में सोचने की और बच्चों को सही संस्कार देने की जिससे वे अपना अच्छा-बुरा और भविष्य को सही ढंग से सोच सकें.
बनाकर प्यार को अंजाम तक पहुंचा रहे हैं.घर में विरोध को देखते वे घर से भाग कर शादी कर ले रहे हैं.बालिगों के प्रेम को थाने यहाँ तक कि न्यायालय भी जाने-अनजाने समर्थन दे रही है.इनके भागने पर लड़की के पिता द्वारा उनकी नाबालिग लड़की के अपहरण का मामला थाने में दर्ज कराया जाता है.रणनीति के अनुसार लड़की न्यायालय में उपस्थित होती है और अपने प्रेम का इजहार न्यायालय के समक्ष करते हुए लड़के के घर ही जा कर रहने का आदेश देने की प्रार्थना न्यायालय से करती है.यानी अपहरण का मामला झूठा साबित.बाद में प्रेमी न्यायालय में उपस्थित होकर जमानत करवा लेता है,और फिर मियां-बीबी के साथ-साथ रहने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है.पर वैसे मामलों का क्या,जिनमे प्रेमी अपनी पत्नी और बच्चों को छोड़कर दूसरी लड़की को भगा ले जाता है और लड़की उसी बेवफा आशिक के साथ रहने को तैयार हो जाती है.
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ना उम्र की सीमा हो,ना जन्म का हो बंधन: मधेपुरा में प्रेमी-प्रेमिकाओं के नाम रहा वर्ष 2010
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 29, 2010
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