कोई कंगाल तो कोई मालामाल है ,
दहेज जैसी कुप्रथा का ये महाजाल है .
किसी ने अपनी सारी कमाई,
किया अपनी बेटी के नाम,![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgySQOAx1j_yXezNEM7EZ7-Y348cy2OSntwZbSU6WUQTuqNw3fkyK5WcXGnkkJ4CHKH1hJ1zVnfdFrPDj2xGf2przCLxwWtpo8lqC21E4LTCpYK6irte21wuHiP-XsLAFo2VUZyzykxLdc/s200/dowry_large.gif)
पर किसी ने रौब दिखाकर
लिया जमकर अपने बेटे का दाम ,
फिर भी खुद को ऊँचा समझता है,
अपने से छोटा बेटी के बाप को समझता है
किया अपनी बेटी के नाम,
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgySQOAx1j_yXezNEM7EZ7-Y348cy2OSntwZbSU6WUQTuqNw3fkyK5WcXGnkkJ4CHKH1hJ1zVnfdFrPDj2xGf2przCLxwWtpo8lqC21E4LTCpYK6irte21wuHiP-XsLAFo2VUZyzykxLdc/s200/dowry_large.gif)
पर किसी ने रौब दिखाकर
लिया जमकर अपने बेटे का दाम ,
फिर भी खुद को ऊँचा समझता है,
अपने से छोटा बेटी के बाप को समझता है
कोई देता है फिर भी वो छोटा है
कोई लेता है फिर भी वो बड़ा है .
अपनी हर मांग को पूरी करवाने के लिए
वो अपनी जिद्द पर अड़ा है
अपनी हर मर्जी पूरी करवाता है
बेटी के बाप को अँगुलियों पर नचाता है
जैसे अच्छे लडको का देश में अकाल है.
दहेज जैसी कुप्रथा का ये महाजाल है.
कोई लेता है फिर भी वो बड़ा है .
अपनी हर मांग को पूरी करवाने के लिए
वो अपनी जिद्द पर अड़ा है
अपनी हर मर्जी पूरी करवाता है
बेटी के बाप को अँगुलियों पर नचाता है
जैसे अच्छे लडको का देश में अकाल है.
दहेज जैसी कुप्रथा का ये महाजाल है.
नोटों को समझता है कोड़ा-कागज
बेटे को पढाना बड़ा आदमी बनाना उसकी लालच है,
हर छोटी – छोटी बात पर
बेटी के बाप को नीचा दिखाना उसकी आदत है.
अपने आप को इंसान कहता है वो
पर हमारे देश में गन्दगी फैलता है वो
हर शादी में दहेज जरुरी है जैसे सरगम में ताल है
दहेज जैसी कुप्रथा का ये महाजाल है
बेटे को पढाना बड़ा आदमी बनाना उसकी लालच है,
हर छोटी – छोटी बात पर
बेटी के बाप को नीचा दिखाना उसकी आदत है.
अपने आप को इंसान कहता है वो
पर हमारे देश में गन्दगी फैलता है वो
हर शादी में दहेज जरुरी है जैसे सरगम में ताल है
दहेज जैसी कुप्रथा का ये महाजाल है
नोटों के साथ -साथ बेटी की विदाई है ,
पर उन्हें क्या पता कैसे पैसे कमाई है?
उन्हें तो बस आता है कैसे इतराना,
बात-बात पर लड़की वाले पर रौब दिखाना.
सब कुछ लेकर वो मालामाल है ,
और शादी के बाद बेटी वाला कंगाल है,
दहेज जैसी कुप्रथा का ये महाजाल है,
कोई कंगाल तो कोई मालामाल है .
दहेज एक अभिशाप है ये हमारे उपर एक सवाल है
हमें समझना होगा,कोई कदम उठाना होगा,
इसी से तो हमारे देश का ऐसा हाल है.
पर उन्हें क्या पता कैसे पैसे कमाई है?
उन्हें तो बस आता है कैसे इतराना,
बात-बात पर लड़की वाले पर रौब दिखाना.
सब कुछ लेकर वो मालामाल है ,
और शादी के बाद बेटी वाला कंगाल है,
दहेज जैसी कुप्रथा का ये महाजाल है,
कोई कंगाल तो कोई मालामाल है .
दहेज एक अभिशाप है ये हमारे उपर एक सवाल है
हमें समझना होगा,कोई कदम उठाना होगा,
इसी से तो हमारे देश का ऐसा हाल है.
दहेज जैसी कुप्रथा का ये महाजाल है
कोई कंगाल तो कोई मालामाल है
कोई कंगाल तो कोई मालामाल है
–प्रीति,मधेपुरा
रविवार विशेष-कविता - दहेज का महाजाल
Reviewed by Rakesh Singh
on
October 30, 2010
Rating:
![रविवार विशेष-कविता - दहेज का महाजाल](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgySQOAx1j_yXezNEM7EZ7-Y348cy2OSntwZbSU6WUQTuqNw3fkyK5WcXGnkkJ4CHKH1hJ1zVnfdFrPDj2xGf2przCLxwWtpo8lqC21E4LTCpYK6irte21wuHiP-XsLAFo2VUZyzykxLdc/s72-c/dowry_large.gif)
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