व्यक्ति परिचय
नाम-नरेंद्र कुमार
पिता- श्री मनोज कुमार सिंह
जन्म तिथि-१२/०९/१९९२
पता-
ग्राम+पोस्ट- धुरगांव
वाया- बुधमा
मैट्रिक - वर्ष २००८-सैनिक स्कूल कपूरथला (पंजाब)-८५%
इंटरमीडिएट- वर्ष २०१०- रांची कॉलेज, रांची (झारखण्ड)
रख तू दो चार कदम ही लेकिन
जरा तबियत से
कि मंजिल खुद-ब-खुद
चलकर तेरे पास आएगी
अरे हालात का रोना रोने वाले
मत भूल कि तेरी तदबीर ही
तेरा तकदीर बदल पयीगी.
और कर्म के सहारे तकदीर बदलने की बात को सच कर कर दिखाया मात्र १७ वर्ष में नरेंद्र ने.इनके जज्बा और लगन को देखकर पड़ोसियों ने दाँतों तले अंगुली दबा ली.एन०डी०ए० जैसी कठिन परीक्षा को तो नरेंद्र ने लगा जैसे चुटकी बजाते पास कर ली.हम बात कर रहें हैं उस नरेंद्र की जो मधेपुरा जिले के एक छोटे से गांव धुरगांव का रहने वाला है.नरेंद्र का चयन अंतिम रूप से एन०डी०ए० जून २०१० बैच के लिए हुआ है.
नरेंद्र अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता तथा अपनी मिहनत को देते है. प्रतियोगिता परीक्षाओं को हलके ढंग से लेते हुए उन्होंने मधेपुरा टाइम्स को बताया कि-सुनियोजित ढंग से अगर कठोर मिहनत की जाए तो किसी भी मंजिल को हासिल किया जा सकता है.भविष्य के परीक्षार्थियों को सलाह देते वे कहते है पूर्व के वर्षों के प्रश्न पत्रों के आधार पर उपयुक्त किताबों का चयन कर अध्ययन करने से सफलता सुनिश्चित है.आगे वे बताते हैं कि अधिक किताबों के चक्कर में परीक्षार्थी दिग्भ्रमित हो जाते है.कोचिंग संस्थाओं की उपयोगिता के सन्दर्भ में वे कहते है कि बहुत कम ही कोचिंग संस्थान सही दिशा निर्देश देते हैं.इन सस्थानों में विद्यार्थीओं को अधिक समय नहीं देना चाहिए. इनका मार्गदर्शन उपयोगी हो सकता है पर स्व-अध्ययन ही सफलता का मूल मन्त्र है.इनकी रुचि किताब पढ़ना तथा बूढ़े लोगों से इंटरेक्ट करना है.आगे की प्लानिंग पर नरेंद्र कहते हैं कि उन्हें पढाई जारी रखनी है और अगला लक्ष्य ग्रेजुएशन के बाद आई०ए०एस० बन माता पिता के सपनों को साकार करना है.जाहिर सी बात है इतनी छोटी सी उम्र में जब ये एन०डी०ए० जैसी कठिन परीक्षा पास कर सकते हैं तो वो दिन भी दूर नहीं जब इनका सपना सचमुच साकार हो जायेगा.मधेपुरा टाइम्स परिवार की और से नरेंद्र को उनकी सफलता पर हार्दिक शुभकामनाएँ.
नरेंद्र अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता तथा अपनी मिहनत को देते है. प्रतियोगिता परीक्षाओं को हलके ढंग से लेते हुए उन्होंने मधेपुरा टाइम्स को बताया कि-सुनियोजित ढंग से अगर कठोर मिहनत की जाए तो किसी भी मंजिल को हासिल किया जा सकता है.भविष्य के परीक्षार्थियों को सलाह देते वे कहते है पूर्व के वर्षों के प्रश्न पत्रों के आधार पर उपयुक्त किताबों का चयन कर अध्ययन करने से सफलता सुनिश्चित है.आगे वे बताते हैं कि अधिक किताबों के चक्कर में परीक्षार्थी दिग्भ्रमित हो जाते है.कोचिंग संस्थाओं की उपयोगिता के सन्दर्भ में वे कहते है कि बहुत कम ही कोचिंग संस्थान सही दिशा निर्देश देते हैं.इन सस्थानों में विद्यार्थीओं को अधिक समय नहीं देना चाहिए. इनका मार्गदर्शन उपयोगी हो सकता है पर स्व-अध्ययन ही सफलता का मूल मन्त्र है.इनकी रुचि किताब पढ़ना तथा बूढ़े लोगों से इंटरेक्ट करना है.आगे की प्लानिंग पर नरेंद्र कहते हैं कि उन्हें पढाई जारी रखनी है और अगला लक्ष्य ग्रेजुएशन के बाद आई०ए०एस० बन माता पिता के सपनों को साकार करना है.जाहिर सी बात है इतनी छोटी सी उम्र में जब ये एन०डी०ए० जैसी कठिन परीक्षा पास कर सकते हैं तो वो दिन भी दूर नहीं जब इनका सपना सचमुच साकार हो जायेगा.मधेपुरा टाइम्स परिवार की और से नरेंद्र को उनकी सफलता पर हार्दिक शुभकामनाएँ.
नरेन्द्र कुमार- छोटी उम्र में पूरा हुआ सपना
Reviewed by Rakesh Singh
on
May 11, 2010
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