सदियों में एक ही अर्जुन पैदा होता है: स्वास्थ्य ही नहीं इलाके में शिक्षा के प्रति भी चिंतित थे डॉक्टर के रूप में भगवान डॉ० अर्जुन प्रसाद सिंह (भाग-3)

मधेपुरा के सबसे महान चिकित्सकों में एक प्रमुख नाम डा० अर्जुन प्रसाद सिंह ने आजादी के वर्ष 1947 से अपने इलाके के गरीबों का मुफ्त इलाज करना शुरू किया और वर्ष 1985 तक लोगों की अनवरत सेवा की.
 
फिर अन्य चिकित्सकों के आग्रह पर नाममात्र की फीस पर निधन से पहले तक रोगियों का इलाज किया और कहा जाता है कि तबतक इनके द्वारा लाखों लोगों की सेवा का रिकॉर्ड बन चुका था. मधेपुरा में अधिक दिनों से रह रहे अधिकाँश परिवार के किसी न किसी सदस्य के पास डॉक्टर अर्जुन प्रसाद सिंह से जुड़ी राहत देने वाली यादें हैं. जाहिर सी बात है, इस महान हस्ती को भूलना मधेपुरा के लोगों के लिए कभी संभव नहीं होगा.
      पर सिर्फ ऐसा नहीं था कि स्व० डॉ० अर्जुन प्रसाद सिंह की चिंता सिर्फ इलाके के लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना ही था. उन्हें ये बात मालूम थी कि जबतक लोगों में शिक्षा के प्रति रुझान नहीं होगा, स्वास्थ्य सम्बन्धी जागरूकता का संचार नहीं हो सकता है. शायद यही वजह थी कि इस महान शख्स ने कॉलेजों की स्थापना और शिक्षा के विकास में रुचि लेना शुरू किया. सोनबरसा में डॉक्टर साहब ने महाराजा हरिबल्लभ मेमोरियल कॉलेज की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बताया जाता है कि मधेपुरा में टी.पी. कॉलेज खुलने पर महान शिक्षाविद कीर्ति बाबू जहाँ सेक्रेटरी बने वहीँ डॉ० अर्जुन प्रसाद सिंह को ज्वाईंट सेक्रेटरी की बड़ी जिम्मेवारी दी गई. डॉ० अर्जुन प्रसाद सिंह का मानना था कि महिलाओं की शिक्षा के बिना एक सभ्य और बेहतर समाज की कल्पना मुमकिन नहीं है. शायद यही वजह थी कि उन दिनों वे एक महिला कॉलेज की स्थापना में लगे थे. कॉलेज खुला भी पर किसी वजह से बाद में बंद हो गया. मधेपुरा के मल्टी परपस हाइयर सेकेंडरी स्कूल (अब शिवनंदन प्रसाद मंडल है स्कूल) में बतौर सचिव भी आप कार्यरत रहे थे.
साहित्य के प्रसार के लिए मधेपुरा के बाय पास रोड में हिन्दी साहित्य कौशिकी सम्मलेन की जमीन भी स्व० डॉ० अर्जुन प्रसाद सिंह ने दान में दे दी. यही नहीं मधेपुरा जब नोटिफाइड एरिया बना था तो डॉ० अर्जुन प्रसाद सिंह को उसका वाइस-चेयरमैन भी बनाया गया था. ये बातें यह दर्शाने के लिए काफी थी कि मधेपुरा के लोगों को उनपर कितना भरोसा था.
      पर भरोसे की डोर 06 नवंबर 2008 को टूट गई और इस महान चिकित्सक, समाजसेवी और शिक्षाविद डॉ० अर्जुन प्रसाद सिंह ने 3 लड़के और 2 लड़कियों के भरे-पूरे परिवार को छोड़ इस दुनियां को अलविदा कह दिया. कहते हैं यदि जन्म हुआ तो मृत्यु तय है पर स्व० डॉ० अर्जुन प्रसाद सिंह के जीवन के कुल 88 वर्षों के सफर के बाद इतना कहा जा सकता है कि सदियों में एक ही अर्जुन पैदा होता है और मधेपुरा कब दूसरे अर्जुन को देखेगा, इस प्रश्न का उत्तर वक्त के गर्भ में छुपा है.
[दस दिनों के बाद इस महान हस्ती की पुण्यतिथि है, टाइम्स परिवार की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि] (वि० सं०)
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