जिंदगी की जंग जीत गई सोनी: पर अपनों के दिए दर्द से उबरना है मुश्किल

|वि० सं०|19 जून 2014|
आखिर मौत को हरा कर सोनी ने जिंदगी की जंग जीत ही ली. पर जिंदगी की जंग जीतने के बाद भी सोनी हारी हुई है. उस मनहूस दिन को सोनी चाह कर भी नहीं भूल पा रही है जब पिछले सात मई को कुमारखंड थाना के रहटा भवानीपुर में उसके ससुर लक्ष्मण यादव और उसकी सौतन विभा देवी ने मिलकर उसके शरीर पर किरासन तेल डाल कर सोनी को आग के हवाले कर दिया. सदर अस्पताल मधेपुरा के डॉक्टरों के अनुसार सोनी जब यहाँ आई थी तो 96% जली हुई थी. यानि आगे थी मौत.
      डॉक्टरों ने हालत देखकर उसे तुरंत बाहर ले जाने को कहा, पर पिता उमेश यादव की इतनी हैसियत न थी कि वह अपनी बेटी का इलाज बाहर करा सके. अभी तो पिछले साल उसने जमीन बेचकर अपनी बेटी की शादी भवानीपुर के लक्ष्मण यादव के बेटे अजय यादव से की थी. अजय पहले से शादीशुदा था और पहली पत्नी से बच्चा नहीं होने की वजह से उसने सोनी से दूसरी शादी की थी. उमेश को गाँव वालों ने समझाया था कि हर्ज ही क्या है, अजय आर्थिक रूप से संपन्न है, सोनी का पूरा ध्यान रखेगा.
      पर यहाँ तो सबकुछ उल्टा हो गया. ससुर लक्ष्मण और अजय की पहली पत्नी ने जब सोनी को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया तो पति की एक न चली. सोनी प्रताड़ित होती रही और पति मौन धारण किये रहा. और फिर वो भयानक दिन भी आ गया जब हैवानियत की हद पार कर ससुर और सौत ने सोनी की जीवनलीला समाप्त कर देने की कोशिश की.
      सोनी के पिता ने डॉक्टरों से साफ़ कह दिया था कि वैसे भी इसकी जिंदगी तो अब मौत से भी बदतर होगी ही और उनके पास सोनी को बचाने के लिए इतने पैसे नहीं हैं कि वह उसका इलाज बेहतर ढंग से करा सके. अब सोनी का जीना और मरना सदर अस्पताल के डॉक्टरों के हाथ में ही था. पर यहाँ डॉक्टरों का भगवान रुपी चेहरा सामने आया.
      सदर अस्पताल के चिकित्सक डा० ओम नारायण यादव मधेपुरा टाइम्स से बात करते बताते हैं कि सोनी के बचने की उम्मीद कही से नहीं थी. इन छ: सप्ताह में सोनी की स्थिति तीन बार बुरी तरह बिगड गई. सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने हर बार सोनी को बाहर ले जाने की सलाह दी, पर पिता बाहर न ले जाने की अपनी जिद पड़ अड़ा रहा. सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने जी तोड़ मिहनत और देखभाल की और आखिरकार सोनी ने मौत को हरा दिया. अब जल्द ही सोनी की अस्पताल से छुट्टी हो जायेगी.
            पुलिस पर सवाल उठाते हुए पिता उमेश यादव कहते हैं कि ससुर को भले ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया हो, पर पता चला है कि सौत ने अपना नाम केश से छंटवाने के लिए पांच कट्ठा जमीन बेचकर पुलिस को पैसे दे दिए हैं और ससुर भी  जमानत कराने की फिराक में है.
      सोनी कहती है वह जीना चाहती है और उसका ऐसा हाल कर देने वालों को वह क़ानून से सजा दिलवाना चाहती है ताकि फिर किसी बेटी के साथ ऐसा हादसा न हो. पर सोनी का भविष्य अँधेरा है और मौत पर जीत हासिल करके भी सोनी जिंदगी हार चुकी है.
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जिंदगी की जंग जीत गई सोनी: पर अपनों के दिए दर्द से उबरना है मुश्किल जिंदगी की जंग जीत गई सोनी: पर अपनों के दिए दर्द से उबरना है मुश्किल Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 19, 2014 Rating: 5

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