विनाशकारी लीला में सब कुछ गंवा चुके कटाव पीड़ितों के अध्ययन को पहुंचा दल

 |ब्रजेश सिंह|22 फरवरी 2014|
अनुग्रह नारायण सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान पटना के निर्देषक डा० एम दिवाकर के नेतृत्व में विभिन्न देशों के पहुंचे अध्ययन दल के सदस्यों ने शनिवार को आलमनगर प्रखंड के बाढ प्रभावित गांव मुरौत, कपसिया व सुखारघाट का भ्रमण कर पीड़ित परिवारों से उनकी समस्याओं को सुना और अध्ययन के संकलित किया। इसके साथ ही कोशी के कटाव से विस्थापित मुरौतवासी के तत्कालीक पुनर्वासित गांव सोनामुखी जाकर भी कटाव व विस्थापन का दर्द जाना। इसके बाद वीरेन्द्र कला भवन आलमनगर में जनसंवाद कार्यक्रम कर भी लोगों की बातों को सुना और अपनी बातों को भी रखा।
अध्ययन दल के सदस्यों ने कोशी  की विनाशकारी लीला से अपना सब कुछ गंवा चुके मुरौत गांव के कटाव पीड़ितों से आपबीती सुनने के बाद उन लागों से कहा कि आपकी समस्याओं का समाधान आपके पास है और हम आपके समस्या का अध्ययन कर उससे निजात दिलाने के लिए सरकार स्तर पर अध्ययन का उपयोग करने का प्रयास करेंगे। अध्ययन दल में षामिल काठमांडो नेपाल की महिला सदस्या डा० मनोहरा खड़का ने गांव की महिलाओं से बाढ के दौरान उनके रहन-सहन और आजीविका सहित महिलाओं की कुछ समस्याओं के बारे में भी सूक्ष्मता पूर्वक अध्ययन की। आस्ट्रेलिया के डा० लुईस नेउमान, डा० डबे पेनटान व डा० टीरा फोरान ने कोशी  नदी की उच्छृंखल व बाढ की पानी से होने वाली तबाही का जायजा लिया। आस्ट्रेलियी सदस्यों ने जल की स्वच्छता व पेयजल संबंधी समस्याओं पर गंभीरता पूर्वक सवाल कर रहे थे और खुद को भी पानी तक पीने से परहेज किया। बांग्लादेश के डा० गुलाम रसूल ने जल के साथ-साथ कृषि व्यवस्था को करीब से जानने की कोशिश करते हुए किसानों से बात की और कहा कि बाढ प्रभावित क्षेत्र में सरकार अगर ध्यान दे तो किसानों को बाढ के बाद बेहतर परिणाम दिया जा सकता है।
मुरौत आये जल विशेषज्ञ रणजीव ने कहा कि आज से महज छह साल पहले की मुरौत व वर्तमान मुरौत में काफी अंतर है। कोशी  की विनाषकारी धारा ने गांव का अस्तित्व ही समाप्त कर दिया है। उन्होंने कोशी की धारा को पायलट चैनल के सहारे धारा मोड़ने की प्रक्रिया को गांव वालों के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। उन्होंने सरकार पर सवालिया लहजे में कहा कि मुरौत कटाव के नाम पर 10 करोड़ से ज्यादा की राशि तकनीकी विशेषज्ञों व ठेकेदारों ने डकार लिया। फिर भी मुरौतवासी विस्थापित होकर सड़क के किनारे खानाबदोष की जिंदगी जीने को विवश हैं।    
 इस मौके पर आईआईसीमोड के डा० हरिकृष्ण, संतोष नेउपान, उद्यन, डा० षहरयार, मोहम्मद वाहिद, नीलहरि नेउपान, गोविंद श्रेष्ठ, अविरल पोड़ेके, विपल ढाक के अलावा मुरौत के मुखिया पति रामलाल सिंह, महावीर सिंह, मनोज शर्मा, मुखिया पूनम देवी, कोशी  पीड़ित पुनर्वास मंच के संयोजक महेन्द्र शर्मा, संजय सोनी, निरंजन सिंह, बादल स्वर्णकार, मुखिया अशोक साह सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे।
विनाशकारी लीला में सब कुछ गंवा चुके कटाव पीड़ितों के अध्ययन को पहुंचा दल विनाशकारी लीला में सब कुछ गंवा चुके कटाव पीड़ितों के अध्ययन को पहुंचा दल Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on February 22, 2014 Rating: 5

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