|मुरारी कुमार सिंह|19 जनवरी 2014|
मेले की शान आशिकों की जान......सिंहेश्वर मेले
में थियेटर का अभाव इस बार झेलना पड़ सकता है थियेटर प्रेमियों को. जिला प्रशासन ने
इसबार फैसला लिया है कि महाशिवरात्रि सिंहेश्वर मेला 2014 के अवसर पर थियेटर,
चलचित्र, चित्रहार, बुगी-बुगी, सर्कस जैसी विधि-व्यवस्था के दृष्टिकोण से
संवेदनशील कार्यक्रमों के प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाए.
अनुमंडल
पदाधिकारी, मधेपुरा सह सचिव सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति ने न्यास के प्रबंधक
माहेश्वर सिंह को पत्रांक 264 दिनांक 17.01.2014 के द्वारा लिखे पत्र में कहा है
कि लोकसभा चुनाव 2014 तथा आगामी माह में होने वाली माध्यमिक तथा इंटरमीडिएट की
परीक्षा आदि के कारण विधि-व्यवस्था संधारण अति चुनौतीपूर्ण और महत्वपूर्ण है. अभी
हाल में बांका जिले में भी मेले की भगदड़ के कारण धन-जन की क्षति व्यापक हुई है.
पत्र में आगे निर्देश दिया गया है कि सभी संबंधितों को लिखित रूप से सूचित कर दिया
जाय.
जाहिर है
जिन चीजों के प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जा रही है, उससे मेले की रौनक में बड़ी कमी
नजर आ सकती है. न्यास के प्रबंधक माहेश्वर सिंह ने मधेपुरा टाइम्स को बताया कि इसका
तो यही मतलब निकला जा सकता है कि प्रशासन अपनी सुस्ती दिखा रही है. उन्होंने कहा कि
कल इस पर मीटिंग होनी है जिसमें हम कहेंगे कि सिर्फ थाना हमें कॉपरेट करे, बाक़ी ट्रस्ट
संभाल लेगी. इन चीजों के बिना कैसा मेला ?
आमलोगों
में प्रशासन के इस फैसले पर मिश्रित प्रतिक्रिया है. पर आपका क्या होगा जनाबे आली,
जो मेले के दौरान सर्दी में गर्मी का एहसास लेने अपनी रातें थियेटर बालाओं के साथ ठुमके
लगाकर बिताते रहे हैं.
(पिछले साल
थियेटर में चले गाने ‘आपका क्या
होगा जनाबे आली’ पर थियेटर
बाला के नृत्य को आप यहाँ देख सकते हैं. यहाँ क्लिक
करें.)
‘आपका क्या होगा जनाबे आली?’ इस बार सिंहेश्वर मेले में नहीं चलेगा थियेटर !
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 19, 2014
Rating:
Happy to see this news.. This was the most disgusting thing for a place like Singheswar
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