अतिथि लुटेरा भव: !

कभी-कभी हम अपनी भागती-दौडती जिंदगी में उन सामाजिक सरोकार वाले मुद्दों को भी नजरंदाज कर देते है, जिसकी वजह से हम अपनी कुछ अलग पहचान समाज या उससे ऊपर बहुत कुछ बनाते हैं. अपनी नित्य नई पहचान या स्वाभिमान बताने वाले कुछ लोग जो कि समय-समय पर किसी उपदेशवाचक की तरह लोगों को उपदेश तथा अच्छे-बुरे का अंतर भी बताते है, अपनी जिम्मेवारी के समय या तो चोर की तरह आँख चुराते मिलेंगे या फिर ढीठ की तरह आपको बरगलाते हुए नजर आएंगे. हमारी भी एक आदत है कि लोग जिस मुद्दे को सुनना चाहते है हम उसी मुद्दे को ज्यादा सुनाते हैं ये जानते हुए भी की ये समाज एवं सौहार्द्द के लिए एक शुभ संदेश नहीं है. ऐसे मुद्दों से किसी का भला हो या नहीं, लेकिन कुछ जनता के ठेकेदारों का उल्लू जरूर सीधा हो जाता है.
मैं जिस मुद्दे को कुरेद रहा हूँ वो किसी राजनीति या राजनितिक पार्टी से प्रेरित नहीं है वरन अपने समाज में फैले एक तरफ़ा हावी सोच के नजरिये से है. अभी हाल की ही बात है जब प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी पटना एक रैली में आए थे. बम धमाके हुए, आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला और हमलोग चिंतन से अधिक अपने अपने नेताओं के पक्ष में सही गलत और हकीकत दूसरों को बताने में लग गए. इस बीच तो कुछ कम कद के नेताओं का विश्लेषण और भीकमाल का रहा. और उसपर ताली देने वाले उनके कुछ समर्थक भी अपने इनेताओं के विश्लेषण को आइन्स्टीन के तर्क मानते हुए लोगों को हकीकत दर्शन कराने में लग गए. कुछ दिन बाद जब नरेन्द्र मोदी वापिस बिहार आये तो उन्हें बिहार का मेहमान यानि राजकीय अतिथि का सम्मान मिला और ये अतिथि जिस घर (बिहार) में मेहमान के रूप आये उस घर के मुखिया (नितीश कुमार) ने उनके सामने ही लोगों से अपील की कि बाहरी कचरे को झारू से साफ कर घर से बाहर फेक दीजिये. उन्होंने इस राज्य अतिथि को सम्मानित करते हुए ये भी कहा कि बाहरी व्यक्ति बिहार का विकास नहीं करेगा. श्री नीतीश जी जब व्यंग्यात्मक ढंग से किसी अतिथि को सम्मान दे रहे थे तो उनके कुनबे के साथी अपने मुखिया के बातों को ताली देकर वाह-वाही ले रहे थे और पुरजोर समर्थन दे रहे थे. मानो शर्म-हया, गैरत-जमीर और अपनी संस्कार-संस्कृति सब बहुत पहले बेच दिए हो. अतिथि देवो भव:, ये वाक्य जैसे इनलोगों ने कभी अपने माता-पिता से भी नहीं सुनी हो. सुना था घर आये दुश्मन को भी पानी पिलाना चाहिए मतलब इज्जत देनी चाहिए. तो फिर क्या ये बिहार की जनता के लिए गौरव की  बात थी ?
पूरे बिहार को छोड़ दीजिये मधेपुरा के जनता के लिए तो जरूर विचारणीय बात होनी चाहिए क्यूंकि हमारे माननीय सांसद श्री शरद यादव जी भी बिहार के नहीं, मध्यप्रदेश के हैं और इस तरह से वो भी बाहरी हुए. तो नितीश जी वक्तव्य के अनुसार क्या वो विकास करने नहीं बल्कि लूटने आये हैं मधेपुरा को, या फिर ऐसे ही किसी जुगाड़ में लगे हैं. जब हमारे इतने सधे हुए और काबिल कहे जाने वाले मुखिया जी इस तरह के सोच और बयान देते है तो और किसी लगुए-भगुए की बात क्या होगी? क्या नितीश जी ने एक बार भी ये नहीं सोचा कि इस बयान के बाद मधेपुरा की सुधी जनता को कुछ तो धक्का लगा होगा, तो क्यों ना एक बार ही सही एक मरहम वाली बोली भी बोल दें!
एक बार शरद जी भी अपनी जनता को कुछ सफाई दे दें, लेकिन इन महान नेताओं को पता है कि मधेपुरा की इन भोली जनता को किस झुनझुने से बहलाया जा सकता है और उसके लिए भी मधेपुरा के आइन्स्टीन जैसे दिमाग रखने वाले छोटे पिछलग्गू नेता काफी हैं. इसलिए यहाँ की जनता के लिए एक शब्द की जहमत उठाने की दरकार भी नहीं समझी इन नेताओं ने. यहाँ सवाल ये नहीं उठता है कि इन जैसे नेताओं ने क्या कहा, क्यूंकि लगभग इनकी फितरत हीं ऐसी होती है, सवाल ये उठता है कि क्या हम और समाज के प्रति हमारी ऐसी ही भूमिका होनी चाहिए? क्या कोई बिहार और मधेपुरा के जनता को मूर्खों सा बयान देकर लज्जित करता रहे और हम इसमें एक सफाई तक ना मांगे ? क्या यहाँ ऐसा कोई एक भी नहीं जो कम से कम अपनी ही मिट्टी के लिए मूर्खों के तलवे को छोड़कर उनकी कानों तक अपनी गूंज सुनवाए? या फिर सब कुछ ऐसा ही चलता रहेगा ये सोचकर कि छोड़ो वक्त आएगा वोट डाल के हिसाब कर लेंगे, इससे हमको क्या ?
वैसे भी नीतीश जी बिहार के विकास के लिए सरकार से जिस विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं उसकी संचालिका बिहार हीं नहीं देश के बाहर की हैं.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)



अमित कुमार सिंह  
मधेपुरा
अतिथि लुटेरा भव: ! अतिथि लुटेरा भव: ! Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 05, 2013 Rating: 5

3 comments:

  1. Nitishji satta kisi ke sath share nahi karna chahte hain isi chakkar mein bechare Sharad Yadav ki watt lag gayi hai...Secularism toh ek bahana hai. Modi ki success se Nitish hil gaye hain..BJP wale chup chap Modi ko OBC bata rahe hain...ye sab dekh kar Nitish ka ghabrana toh banta hai...Nitish Lok Sabha ki toh nahi lekin Vidhan Sabhi ki taiyari abhi se shuru kar dein...shayad ache kam karna unke kam aa jaye

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  2. Aap ko itne dino me kabhi laga ke humare sansad ya fir cm ne kbhi madhepura ke liya socha ho to wo eisa kah bhe diya to koi bat nahi.

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  3. alok ji sochne ki bat to yahi hai ki fir bhi aise hi log hamare bich srwasresth chune jate hain

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