दलालों के जिम्मे मुरलीगंज थाना का संचालन

|कुमार शंकर सुमन|29 अक्टूबर 2013|
यह शर्मनाक लेकिन स्याह सच है कि मुरलीगंज थाना पर दलालों का कब्ज़ा है. यह गन्दा खेल गत लगभग तीन वर्षों से जारी है. यह जानकार शायद आपको अटपटा लगे कि जब यहाँ से थानाध्यक्ष का तबादला होता है तो नए थानाध्यक्ष को निवर्तमान थानाध्यक्ष जब प्रभार सौंपते हैं तो उस सूची में दलाल भी शामिल होते हैं. सोमवार की रात शहर के गोलबाजार में जुआ खेलते 13 लोगों की गिरफ्तारी में एक चौकीदार का भी शामिल होना दलाल कथा का ही हिस्सा है. गिरफ्तार सफेदपोश लोगों में कुछ दलाल भी शामिल हैं.
      शर्मनाक यह भी है कि पुलिस की छापेमारी में मुरलीगंज थाना को कानोकान भी खबर नहीं हुई. दरअसल वरीय पुलिस अधिकारियों को बखूबी पता था कि जुआ का अड्डा थानाध्यक्ष प्रशांत मिश्रा के संरक्षण में चल रहा है. जुआ अड्डा से गिरफ्तार चौकीदार रमेश पासवान थानाध्यक्ष का कमाऊपूत माना जाता है. लोगों में जारी चर्चा पर यकीन करें तो बारहों मास चलने वाले इस जुए के अड्डे से थाना को प्रतिमाह लगभग एक लाख रूपये की आमदनी होती थी. यही वजह थी कि थानाध्यक्ष के सबसे विश्वस्त दलालों में एक चौकीदार रमेश को जुए के अड्डे पर अघोषित रूप से प्रतिनियुक्त किया गया था.
      मुरलीगंज थाना ने किसिम-किसिम के दलाल पाल रखे हैं. दलालों की सूची में एक महत्वपूर्ण नाम एक लकड़ी तस्कर का भी है जो आज भी तस्करी के धंधे से जुड़ा हुआ है. उसने कुछ चमचे भी पाल रखे हैं जिनकी छवि गाँव-देहात तक सशक्त दलाल के रूप में हैं. इसमें कई तथाकथित युवा नेता भी शामिल हैं जो दिन के उजाले में जन आंदोलन करते नजर आयेंगे और रात के अँधेरे में वह सारे कुकर्म जो भारतीय अपराध संहिता में अपराध की श्रेणी में आते हैं. मजे की बात यह है कि अधिकाँश दलालों ने किसी न किसी राजनीतिक दल का चोला पहन रखा है. दाद देनी पड़ेगी थानाध्यक्ष की जिसने विपरीत विचारधारा वाले दलों के नुमायंदे के बीच भी सामंजस्य स्थापित कर रखा है. चौकीदार रमेश की हैसियत भी काबिले-तारीफ़ है. जैसी कि चर्चा है कि मुरलीगंज थाना में पदस्थापित एक अवर निरीक्षक की हाल में ही रमेश ने थाना परिसर में ही ऐसी-तैसी कर डाला था. बताया जाता है कि करीब एक दशक से मुरलीगंज थाना में पदस्थापित रमेश पासवान को मुंशी जैसी जिम्मेवारीपूर्ण काम करने की आजादी है. वर्ष 2003 में तत्कालीन थाना प्रभारी कैसर आलम ने रमेश को उसकी औकात बताते हुए भतखोडा के बैंक में चौकीदार के रूप में उसकी नियुक्ति कर डाली थी.
      क़ानून की नजर में जुआ खेलना भले ही संगीन अपराध की श्रेणी में नहीं आता हो, लेकिन इस प्रकरण से स्पष्ट हो गया है कि कुछ लोगों की वजह से पुलिस की साख दांव पर लगी हुई है. इसी विभाग में मौजूद कुछ भलेमानुष की वजह से शायद कानून अबतक रखैल नहीं बन पाई है. एसपी साहब, अगर आपतक आम आदमी की गुहार पहुँच रही हो तो प्लीज, कौरवों की सभा में द्रौपदी के चीरहरण को रोक लीजिए.
[Web Title: Murliganj Police Station of Madhepura conducted by Brokers]
[Key Word: Madhepura Police, Murliganj Police Station]
दलालों के जिम्मे मुरलीगंज थाना का संचालन दलालों के जिम्मे मुरलीगंज थाना का संचालन Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 29, 2013 Rating: 5

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