09 मई 1981. मधेपुरा के लोगों के लिए अविस्मरणीय दिवस.
इसी दिन मधेपुरा सहरसा के अलग होकर जिला बना था. तब से स्थापना दिवस के रूप में 09
मई का दिन मधेपुरा में मनाया जाने लगा. पिछले साल भी जिला प्रशासन ने इस दिवस को धूमधाम
से मनाया था. पर अचानक क्या हुआ कि इस साल जिला प्रशासन ने इस बार स्थापना दिवस के
दिन मौन धारण कर लिया ? जब प्रशासन ही मौनी बाबा बन बैठे तो महंगाई और भ्रष्टाचार से
त्रस्त मधेपुरा की अधिकाँश जनता को कहाँ तक स्थापना दिवस याद रह पायेगा ?
जानकारी
मिली कि जिला प्रशासन को राज्य सरकार से फंड नहीं मिला और बिना फंड के वे कैसे मनाएं
जिला स्थापना दिवस ? बहुत से लोग नाराज हैं. उनका कहना है कि जेब से दो-चार सौ रूपये
प्रत्येक चंदा कर भी प्रशासन इस दिवस को मना सकती थी, पर भावना की बात होती है. कुछ
लोग तो आक्रोशित होकर यह भी कह रहे हैं कि अधिकाँश बाहर के अधिकारी हैं यहाँ के विकास
के सिर्फ उसी पहलू को देखेंगे जिसमें उनका अपना भी विकास शामिल हो. समाजसेवी शौकत अली
तो यहाँ तक कहते हैं कि प्रशासन के लोग मधेपुरा आकर ‘दिस-दैट’ करके चलते बनते है. आज जिला प्रशासन
बिल्कुल निष्क्रिय है.
जो भी हो
जिला के गौरवमयी इतिहास को कमतर आंकने की जिला प्रशासन के इस हरकत पर आम जनता निश्चित
रूप से ‘माइनस मार्किंग’ कर रही है.
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जानें इतिहास: इससे पूर्व 1 अप्रैल 1954 को सहरसा
भागलपुर जिला से अलग होकर जिला बना था, वैसे मधेपुरा 3 सितम्बर 1945 से ही
भागलपुर जिला के अंतर्गत सब-डिवीजन के रूप में था. वर्तमान मधेपुरा 09 मई 1845 को
सब-डिवीजन (अनुमंडल) के रूप में अस्तित्व में आया. उस समय सहरसा जो आज जिला है, मधेपुरा का रेवन्यू सर्किल था. जब सहरसा
01 अप्रैल 1954 को जिला बना तो मधेपुरा सहरसा जिले के अंतर्गत एक अनुमंडल था.
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स्थापना दिवस को दरकिनार किया जिला प्रशासन ने: लोगों में आक्रोश
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 11, 2013
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