दीपावली में जुआ का रहा बोलबाला: पत्नियों के गहने तक बिके

राकेश सिंह/14/11/2012
घर्म में आस्था रखने वाले हिंदुओं ने जिले में दीपावली के धार्मिक अवसर पर सारे नियमों का पालन किया और सूबे की सरकार के प्रति भी अपनी आस्था दिखाकर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का हिस्सा बने. यह बात दीगर है कि आज सुबह नींद टूटते ही कल रात की बात ख्याल करते ही उनकी आने वाली कई रातों की नींदें हराम हो चुकी है. दीपावली की रात शराब पीकर जहाँ बहुतों ने सूबे की सरकार के खजाने को बढ़ाने में सहयोग किया वहीँ जुआ में जेबें खाली होने के बाद कुछ ने पत्नी को पीटकर उसके गहने छीन लिए और उसे भी हारकर आधी रात को घर लौटे. रात गयी बात गयी यहाँ लागू नहीं होने वाले हैं क्योंकि ऐसे घरों में कई दिनों तक कोहराम मचे रहने की आशंका है.
            जिले में बीती रात जुए का कारोबार करोड़ों में गया. नगर सेठ के घर से लेकर ठेला तक पर बैठ कर लोगों ने जुआ खेला मानो अधर्म पर धर्म की विजय दिला रहे हों. शहर के एक ठेकेदार के जहाँ बारह लाख जुए में हार जाने के समाचार हैं वहीं किसी ने घर इतने पैसे जीतकर लाये हैं कि उनकी पत्नी अब टूर प्रोग्राम बना कर पड़ोसियों को जलाने को सोच रही है. एक शिक्षक ने जब पास के हजारों रूपये हारे तो पत्नी से जेवर की मांग इस शर्त पर की कि कल तुम्हें एक और कान का बनवा देंगे. पत्नी के मना करने पर राष्ट्रनिर्माता ने पहले उसे धुना और फिर फिर जबरन जेवर ले जा कर उसे भी हार गए.
            जिले के कई थानाक्षेत्र में पुलिस के संरक्षण में जुआ जिंदाबाद रहा और कमीशन की राशि से पुलिस की जेबें भी सौभाग्यशाली बनी रहीं. जो भी हो, निष्कर्ष के तौर पर आप 1962 की बनी हिन्दी फिल्म बीस साल बाद का वो गाना याद कर सकते हैं कि कहीं दीप जले कहीं दिल.
दीपावली में जुआ का रहा बोलबाला: पत्नियों के गहने तक बिके दीपावली में जुआ का रहा बोलबाला: पत्नियों के गहने तक बिके Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 14, 2012 Rating: 5

3 comments:

  1. एकदम ये गलत बात हैं....जुए खेलने वालों को जेल में डालना चाहिए..... अहेम अहेम

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  2. आपका समाचार जरा हट कर होता है !प्रायः सभी समाचार समाज की भलाई होता है!

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  3. ..jua nahi khelna chahiye, sharab nahi peeni chahiye,, ye na karo wo na karo..toh phir life ko enjoy kaise kiya jaye.. koi cheez buri nahi agar usko moderation mein kiya jaye..jis insan ka khud pe contro nahi woh janwar se bhi badtar hai

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