मधेपुरा में महिलाओं और नेताओं के भी आदर्श हैं महात्मा गांधी

राकेश सिंह/02 अक्टूबर 2012
महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानने वालों की संख्यां देश में बहुत ही ज्यादा है. भारत क्या, पूरी दुनियां में बहुत से लोग ऐसे हो सकते हैं जो गांधी के विचारों से प्रभावित हैं. आज पूरी दुनियां जहाँ बढ़ रहे अपराध और भ्रष्टाचार से लड़ने में अपनी बड़ी उर्जा की खपत कर रहा है, वहीं एक बड़े वर्ग का यह भी मानना है कि गांधी के सत्य और अहिंसा के हथियार से आज विभिन्न समस्याओं का खात्मा किया जा सकता है.
         मधेपुरा में भी गांधीवादी विचारधारा के प्रसंशकों की संख्यां कम नहीं है. आज जब हमने मधेपुरा के कई नेताओं और महिलाओं से ये प्रश्न पूछा कि गांधी के आदर्श आज कितने प्रासंगिक हैं तो लगभग सभी नेताओं ने कहा कि गांधी मेरे आदर्श हैं और उनके सिद्धांतों पर चलकर ही देश और राज्य तरक्की कर सकता है. हालांकि मौके विपक्ष के नेताओं से ही यह प्रश्न पूछा जा सका इसलिए सबों ने इसी बहाने नीतीश सरकार को भी आड़े हाथ लिया. अधिकार यात्रा के दौरान कई जगह मुख्यमंत्री के विरोध पर भी मधेपुरा के विपक्षी नेताओं ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार विरोध दर्ज कराने वालों पर दमनात्मक कार्यवाही कर रही है जो गांधी के सिद्धांतों पर आधारित नहीं है. यही हाल मधेपुरा की महिलाओं का भी है. सत्य और अहिंसा का रास्ता भले ही ये बाधापूर्ण मानती हैं पर जो भी हो इनके आदर्श भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ही हैं.
            मधेपुरा से राजद के विधायक प्रो० चंद्रशेखर गांधीजी के आदर्श की प्रासंगिकता को कोई नहीं नकार सकता है. पर आज के राजनेता गांधी जी के सपनों को तार-तार कर रहे हैं और उनके आदर्शों के साथ खिलवाड़ कर रहें जो चिंता की बात है.  अपने बारे में प्रो० चंद्रशेखर कहते हैं कि यदि गांधी के एक रोआं के बराबर भी गुण उनमे आ जाय तो वे अपने को धन्य और देश के काबिल समझेंगे.
            राजद के ही जिलाध्यक्ष प्रो० अरविन्द कुमार भी गांधी को ही अपना एकमात्र आदर्श मानते हैं. साथ ही वे कहते हैं कि राष्ट्रीय जनता दल ही गांधी के आदर्शों पर चलती है.
            भाकपा के जिला मंत्री प्रमोद प्रभाकर का मानना है कि गांधी के वसूलों पर आज लगातार कुठाराघात हो रहा है. आज की सरकार जनतांत्रिक आन्दोलनों को कुचलने का काम कर रही है जो गांधी के आदर्शों के विपरीत है. बिहार सरकार के गुंडे अब कार्बाइन लहरा रहे हैं और बिहार में विध्वंसकारी सरकार काबिज है और ऐसे में गांधी के सपनों को कुचलने वालों को हम बख्शेंगे नहीं.
            कॉंग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष सत्येन्द्र कुमार सिंह कहते हैं कि गांधी ने सत्य और अहिंसा के दो मूलमन्त्रों के साथ धरना और प्रदर्शन का भी अधिकार भी दिया था पर आजकी सरकार हिंसा के रास्ते चल रही है. देश का कल्याण तब ही हो सकता है जब हम गांधी के बताये रास्ते पर ही चलें.
            माकपा के जिलामंत्री गणेश मानव खुद को तो पूरी तरह गांधी के आदर्शों को मानने वाला नहीं बताते है, पर इन्हें दुःख है कि आज सरकार गांधी के आदर्शों पर नहीं चल रही है.
            वहीं कॉंग्रेस के नेता विष्णुदेव प्रसाद यादव उर्फ विक्रम यादव कहते हैं कि गांधी के आदर्शों को वे अपने जीवन में उतार लेना चाहते हैं. वर्ष 1998 में मैं उन्ही से प्रेरणा लेकर 21 दिनों का आमरण अनशन पर बैठा था जो उन्हीं के विचारों से प्रेरित था. किसी भी काल, परिस्थिति और समय में गांधी के विचार अपनाने योग्य हैं.
            वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी जनक राम भी गांधीजी के विचारों से पूरी तरह सहमत हैं और उनका मानना है कि आज यदि उनके विचारों को अपनाया जाय तो बहुत बड़ा जनहित होगा.
            दूसरी तरफ मधेपुरा की कई महिलाओं ने भी माना कि भले लोग उनके आदर्शों पर आज नहीं चल रहे हैं पर उनके बताये रास्ते पर ही चलकर देश और समाज का कल्याण हो सकता है. वार्ड नं.18 की सपना सांडिल्य कहती है कि सत्य और अहिंसा सूनने में तो बहुत अच्छा लगता है पर आजकल परिस्थिति बदल गयी है. अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले बाबा रामदेव जेल जाते हैं और कष्ट सहते हैं जबकि हिंसा को अपनाने वाले कसाब जैसे लोग जेल में आराम की जिंदगी जी रहे हैं. पर जो भी हो सपना के आदर्श भी गांधी ही हैं और वो भी उनके बताये मार्ग पर ही चल कर सत्य और अहिंसा का साथ देना चाहती है.
मधेपुरा में महिलाओं और नेताओं के भी आदर्श हैं महात्मा गांधी मधेपुरा में महिलाओं और नेताओं के भी आदर्श हैं महात्मा गांधी Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 02, 2012 Rating: 5

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