रूद्र ना० यादव/10 अगस्त 2012
मंडल विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र की सीनियर
लेक्चरर प्रो० प्रज्ञा प्रसाद के विरूद्ध हरिजन अत्याचार अधिनियम के अंतर्गत दर्ज
मामले में पुलिस ने अनुसंधान शुरू कर दिया है.कल दोपहर बाद एसडीपीओ द्वारिका पाल
ने इस विवादित मामले में जहाँ सूचक बच्चे विनोद सदा का बयान लिया वहीं इस मामले
में प्रो० प्रज्ञा प्रसाद से भी पूछताछ की गयी.एसडीपीओ द्वारिका पाल ने मधेपुरा
टाइम्स को बताया कि इस कांड में अन्य गवाहों का बयान लेना अभी बाक़ी है.
उधर
प्रो० प्रज्ञा प्रसाद उससे पूर्व एसपी से मिलने उनके कार्यालय गयी थी.जहाँ एसपी की
अनुपस्थिति में एसडीपीओ द्वारिका पाल को उन्होंने मामले की सच्चाई से अवगत कराया.प्रो०
प्रज्ञा प्रसाद ने कहा कि विश्वविद्यालय कर्मचारी द्वारा एक दलित बच्चे को घर में
रखकर काम कराने से उसे रोकना और उसका कल्याण मैंने अपनी सामजिक जिम्मेवारी समझा.इस
पर डीएसपी ने कहा कि ये एक नेक विचार हैं.
प्रो०
प्रज्ञा प्रसाद ने बताया कि कर्मचारी पृथ्वीराज यदुवंशी से उनका विवाद कुछ महीने
पहले से चल रहा है.पुस्तकालय सहायक होकर उसका व्यवहार एक सीनियर प्रोफ़ेसर के साथ
क्या होना चाहिए उसे पता नहीं है और वो इस तरह मुझपर झूठा मुकदमा कर दे और मैं
उससे बात करने जाऊं, ये संभव नहीं है.एसडीपीओ द्वारिका पाल ने आश्वासन दिया कि
दोनों पक्षों को सुनने के बाद वे केस में सच का साथ देंगे.
इस नए
प्रकरण ने फिर से विश्वविद्यालय में एक नए विवाद को जन्म दिया है.देखा जाय तो मंडल
विश्वविद्यालय अपने आरंभिक दौर से ही राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है.अधिकाँश वीसी,
रजिस्ट्रार या अन्य अधिकारियों को इसके शैक्षणिक वातावरण के सुधार से कोई लेना
देना नहीं होता है.वे बस यहाँ चल रहे लूट-पाट के खेल में शामिल रहते हैं.इस नए
विवाद को अधिकारियों द्वारा नहीं सुलझाने की वजह से अब पुलिस कैम्पस में नजर आने
लगी है और यदि इसी तरह राजनीति का गन्दा खेल यहाँ जारी रहा तो कल पढ़ाई करने वाले
छात्र अपने शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों को यहाँ से पुलिस के द्वारा
गिरफ्तार कर ले जाते देखेंगे.
विश्वविद्यालय बना अखाड़ा: प्रज्ञा मामले में पुलिस अनुसंधान शुरू
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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August 10, 2012
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