रूप मेरा....तुम्हारा प्यार/// कृष्णा अंजनी

तुम दूर ह़ो ना ...तो देखो
सब कहते हैं बिरहन-सी क्यूँ घूमती ह़ो
ज़रा सज-धज कर रहा करो
अब तुम ही बताओ...
आँखों में तुम्हारे इंतज़ार का काजल
होठों पे तुम्हारे नाम की लाली
माथे पर तुम्हारे एहसास की बिंदिया
माँग में सिन्दूर तुम्हारी लम्बी उम्र का
कानों में तुम्हारी बातों की बाली
नाक में तुम्हारी महक की लौंग
तुम्हारे दुआओं का मंगल सूत्र कंठ में
हाथों में तुम्हारी छुअन की चूड़ियों
उंगली में हमारे रिश्ते की अंगूठी
पैरों में तुम्हारी आहट की पायल
बिछुए तम्हारे मेरे साथ के
आँचल तुम्हारे विश्वास का सिर पे
तन से लिपटा प्यार तुम्हारा
देखो...लग रही हूँ ना सुंदर !!

तुमसे बेहतर नहीं कोई श्रृंगार
रूप मेरा....तुम्हारा प्यार......| 
 
--कृष्णा अंजनी, मधेपुरा.
रूप मेरा....तुम्हारा प्यार/// कृष्णा अंजनी रूप मेरा....तुम्हारा प्यार/// कृष्णा अंजनी Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on May 06, 2012 Rating: 5

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