क्या झल्लू बाबू की हुई राजनीतिक हत्या ? (भाग-१)

निधन के बाद जदयू के झंडे और 
तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर
राकेश सिंह/ 06 अप्रैल 2012
मधेपुरा में अधिकाँश नेताओं का चरित्र हमेशा से संदेहास्पद दीखता रहा है. विकास की उम्मीद दिखाकर ये नेता भ्रष्ट राजनीति करने में बहुत ही आगे हैं. इनका मानवीय चेहरा शायद ही कभी नजर आता है.
वयोवृद्ध सामाजिक नेता रामानंद प्रसाद मंडल उर्फ झल्लू बाबू की २३ मार्च को हुए निधन के बाद यहाँ के लोगों में झल्लू बाबू के योगदान और समर्पण की चर्चा लगातार हो रही है.और साथ ही चर्चा हो रही है उनसे जुड़े अन्य कई नेताओं की जिन्होंने उनका इस्तेमाल कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकी.लोगबाग कहते नजर आ रहे थे कि जिन्होंने जदयू और शरद यादव के लिए अपनी जिंदगी की बलि चढ़ा दी उनकी मौत के बाद सांसद का सांत्वना देने के लिए आना तो दूर, उनके परिवार को उन्होंने एक फोन कॉल तक नहीं किया.
   चर्चा सुनकर मुझे भी सच जानने की इच्छा हुई. मैंने स्वर्गीय झल्लू बाबू के घर की ओर रूख किया.घर के अंदर का वातावारण मातम में डूबा था. पोता रजत एक साल में दूसरी बार घर में मौत होने पर कर्ता बना था. पिता की मौत के सदमे से अभी वह बाहर भी नहीं निकला था कि दादा की मौत हो गयी.सफ़ेद कपड़ों में लिपटा यह मुश्किल से बालिग़ लड़का दादा की आत्मा की शान्ति के लिए क्रिया-कर्म में लगा था.परिवार में अब शायद कोई जवान मर्द नहीं बचा है.मैंने झल्लू बाबू की सबसे बड़ी पोती पूजा जो बॉटनी की लेक्चरर भी हैं,से बात की.पूजा ने बात शुरू करने से पहले ही कहा कि मैं आपको सब कुछ सच बताउंगी.और फिर पूजा ने जो खुलासा किया यदि उसे सच मानूं तो शायद मैं मधेपुरा की जिस राजनीति को अब तक जानता था यहाँ की राजनीति उससे भी कहीं अधिक गिरी हुई चीज है.
पूजा ने खोली नेताओं की पोल
    पूजा ने बताया कि शरद यादव जब पहली बार मधेपुरा से चुनाव लड़ने आये थे तो सबों ने कहा ये बाहरी है इसे भगाओ.पर झल्लू बाबू ने जनता दल को अपना कार्यालय देकर उन्हें अपना समर्थन दिया.शरद यादव के साथ २५ साल तक उन्होंने जनता दल को अपनी नि:स्वार्थ सेवा दी.हरेक सभा, आयोजन या काम में वे हमेशा साथ रहा करते थे.पर बदले में पार्टी के शीर्ष नेताओं ने उनके साथ विश्वासघात किया.उनका मजाक बनाया करते थे,उनकी खिल्ली उड़ाते थे. जबकि वे मजाक बनाने की चीज नहीं थे.राय बहादुर का खिताब बिहार में दो लोगों को ही मिला था और उनमें से एक स्व० रायबहादुर केशव प्रसाद के पुत्र थे झल्लू बाबू.बड़े नेता हमेशा इन्हें पद के आश्वासन का लॉलीपॉप दिखाते रहे. दो बेटों को खोने के बाद भी ये अगर जिन्दा थे तो सिर्फ राजनीति की वजह से.इन्हें लगता था कि पार्टी के प्रति इनके द्वारा किये गए त्याग को बड़े नेता समझेंगे और इन्हें भी कोई पद देकर जनता की सेवा का मौक़ा देंगे.पर यहाँ के शीर्ष नेताओं ने इन्हें पद देने के बदले इनके साथ किया विश्वासघात.
    पूजा उसके बाद नरेंद्र ना० यादव की बात करती है.कहती है वे हमेशा यहाँ आकर ठहरते थे.पर विधायक बनने के बाद उन्होंने कभी इनकी ओर पलट कर नहीं देखा. शरद जी और नरेंद्र जी यदि चाहते तो इन्हें कोई पद मिल गया होता.इनके बाद कई नेता दल बदल कर आये और पद पा लिए. पूर्व विधायक ओम बाबू के बारे में वे कहती हैं कि उनका न तो जदयू में कोई योगदान था और न ही यहाँ की जनता के लिए,फिर भी एक झटके में उन्हें टिकट दे दिया गया.पूजा कहती है सांसद शरद यादव और मंत्री नरेंद्र ना० यादव ने उनका राजनैतिक शोषण किया.                 (क्रमश:)
 (अगले भाग में हम चर्चा करेंगे कि यहाँ के तथाकथित बड़े नेताओं ने उनका किस तरह से इस्तेमाल किया और कैसे उनके निधन को परिवारवाले राजनैतिक हत्या मानते हैं. पढ़ते रहिये मधेपुरा टाइम्स )
क्या झल्लू बाबू की हुई राजनीतिक हत्या ? (भाग-१) क्या झल्लू बाबू  की हुई राजनीतिक हत्या ? (भाग-१) Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 06, 2012 Rating: 5
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