मधेपुरा के बने नावों से दूसरे जिलों में बचाई जाती है जिंदगी

वि०सं०/०३ जनवरी २०११
कुसहा त्रासदी की मार भले ही जिला अभी तक झेल रहा हो और बाढ़ के दौरान जिले में जिंदगियों को बचाने के लिए दूसरे जिलों से नावों के इंतजाम किये गए हों,पर आज हकीकत कुछ और है.अब मधेपुरा जिले में भी नाव बनने लगे हैं और वो भी इतनी मात्रा में कि अब यहाँ के नावों से सुपौल आदि जिलों में भी जिंदगी बचाई जाने लगी है.
   मधेपुरा-सहरसा रोड में बनाई जा रही इन नावों में एक नाव की कीमत १,३०,००० रू० पड़ती है.और करीब पन्द्रह मजदूर जब इसे बनाने में भिड़ते हैं तो एक नाव अमूमन पन्द्रह दिनों में तैयार हो जाता है.यानी महीने में दो नावों का निर्माण यहाँ होता है.वर्तमान में सुपौल जिले से कई नावों के आदेश हैं जो वहां नदियों के किनारे बड़ी आबादी के लिए मंगाई जा रही है.चूंकि कोसी के कई क्षेत्रों में बाढ़ की आशंका प्रत्येक वर्ष बनी रहती है इसलिए सुरक्षा के तौर पर इन जिलों में अभी से नावों की खरीद की जा रही है.
     जो भी हो,नाव बनाने के क्षेत्र में मधेपुरा आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर है,ये निश्चित ही जिले के लिए सुकून की बात है.
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