रूद्र ना० यादव/११ अक्टूबर २०११
मुरलीगंज के रतन पट्टी गाँव का ये विशालकाय पुल अब मानो इतिहास बन गया है.करीब दस गाँव के लिए आवागमन का सहारा बने इस पुराने पुल ने २००८ की बाद विभीषिका में दम तोड़ दिया था.बाढ़ में पुल टूटकर ऐसा खड़ा हुआ कि इसके मरम्मत की कोई गुंजायश ही नहीं रही.पुल के टूटने से मानो इलाके के लोगों पर कहर टूट गया.आवागमन की सुविधा समाप्त हुई तो लोगों ने पहले तो जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई.पर स्थिति ये रही कि कोई बड़ा नेता इसे देखने भी नहीं आया.फिर लोगों ने वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में इस नदी पर चचरी पुल बना लिया.पर गाँव वालों की बदनसीबी ने यहाँ भी उनका पीछा नहीं छोड़ा.अभी तक इस चचरी पुल से गिर कर छ: बच्चों की मौत हो चुकी है.यहाँ स्थायी पुल बनने की दिशा में कोई सुगबुगाहट तक नहीं देखी जा रही है.प्रशासन ने भी यहाँ के लोगों की समस्या से आँखें फेर ली है.पुल कब बनेगा,कैसे बनेगा,कोई बताने वाला नहीं. वर्तमान जिलाधिकारी अजय कुमार से जब इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार किया.
गाँव के लोगों को फिलहाल आवागमन में कोई राहत मिलने की सम्भावना नहीं दिख रही है.और मौत का क्या है,गरीब के बच्चों की जान की कीमत ही कितनी ?
चचरी पुल बना सहारा,पर अब तक ली छ: जानें
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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October 11, 2011
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Aisi putrion ka jam k utsah barhana chahiye ,inki samaj ke dwara financial help honi chahiye,PRBHA jaisi betian KOSI ilake ka nam ROSHAN karengi Mai iske jajbe ko salute karta hun...
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