पल्स पोलियो अभियान की रीढ़ है आंगनबाड़ी


राकेश सिंह /०३ सितम्बर २०११
जिले में २८ अगस्त से ०२ सितम्बर तक चलने वाले पल्स पोलियो का विशेष अभियान समाप्त हो गया. दो बूँद जिंदगी की यानि पल्स पोलियो अभियान की सफलता बहुत सारी बातों पर निर्भर करती है.जिले में पल्स पोलियो अभियान को सफल बनाने के लिए आम लोगों सहित आशा कार्यकर्त्ता सहित आम लोगों से भी सहयोग की उम्मीद की जाती रही है.इस बाबत कभी-कभी पोलियो जागरूकता रैली का भी आयोजन किया जाता है.पर यदि यूनिसेफ के द्वारा प्रायोजित पल्स पोलियो कार्यक्रम में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों की भी होती है.आंगनबाडी केन्द्रों के सहयोग के बिना पल्स पोलियो अभियान की सफलता पूरी तरह संदिग्ध है.
चौसा पीएचसी  में बैठक करते अधिकारी
  इस सम्बन्ध में मिली जानकारी के अनुसार आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका-सहायिका मोबलाइजर का काम करती है.वैक्सीनेटर भी केन्द्र की सेविका ही होती है.ग्रामीण व अस्पतालों की आशा कार्यकर्त्ता वोलेंटियर का काम करती हैं.वैसे तो जिले के सभी प्रखंडों में २८ अगस्त से ०२ सितम्बर तक चले पल्स पोलियो अभियान में कोई बड़ी गडबडी की शिकायत नहीं मिली,पर जिला मुख्यालय से सबसे दूर होने के बावजूद भी जिले के चौसा प्रखंड में इस अभियान को पूरी तरह सफल माना जा सकता है.चौसा पीएचसी के प्रभारी हरिनंदन प्रसाद के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रखंड के कुल ११६ आंगनबाड़ी केन्द्रों में से एक भी सेविका ड्रॉप ऑउट नहीं हुई, जो अपने आप में एक बड़ी सफलता है.इस प्रखंड के पोषक क्षेत्र में इस अभियान के दौरान सुबह सात बजे से दो बजे तक कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर पोलियो का ड्रॉप पिलाया.छूटे बच्चों के लिए दो बजे के बाद रिविजीट का काम हुआ और शत प्रतिशत बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई गयी.
  जहाँ सूत्रों का ये मानना है कि जिले में इस अभियान से जुड़े कुछ लोग चाहते हैं कि ये अभियान पूरी तरह सफल न हो और इस नाम पर हो रहे लूट का सिलसिला भी हमेशा जारी रहे,वहां यदि जिले के सभी प्रखंडों में चौसा प्रखंड की तरह ही अभियान पूरी तरह सफल रहता है तो ऐसे तत्वों का मनोबल निश्चित रूप से गिरेगा.
पल्स पोलियो अभियान की रीढ़ है आंगनबाड़ी पल्स पोलियो अभियान की रीढ़ है आंगनबाड़ी Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 03, 2011 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.