कॉन्वेंट स्कूलों में भी बदनाम हो रही मुन्नियाँ

राकेश सिंह/३० मार्च २०११
मधेपुरा में 'कॉन्वेंट कल्चर' में दिनोंदिन गिरावट ही आती जा रही है.एक तो अधिकाँश कॉन्वेंट स्कूल छुटभैये शिक्षकों और लोभी डायरेक्टरों के द्वारा चलाया जा रहा है ऊपर से ये स्वछंदता और आधुनिकता के नाम पर बच्चों की संस्कृति भी बिगाड़ने में कम नही दीख पड़तें  है.अधिकाँश कौन्वेंट्स में फायनल परीक्षा हो चुकी है और बच्चों को एक सप्ताह की छुट्टी भी मिल गयी है.पर इस बार के फायनल एग्जाम्स में संगीत विषय में एक बड़ी ही अजीब बात देखने को मिली है.पहले जहाँ छोटे बच्चों को देशभक्ति के गानों पर शिक्षकों की वाहवाही मिला करती थी वहीं इस साल बच्चों ने 'मुन्नी बदनाम हुई' और 'शीला की जवानी' जैसे गाने गाये और शिक्षकों की खूब तालियाँ बटोरीं.
     सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या शिक्षकों को ये एहसास नही है कि ऐसे गानों पर उनकी तालियाँ बच्चों को ऐसा ही गाना सीखने को प्रेरित करेंगी?क्या बच्चों को देशभक्ति या मानवीयता पर आधारित संगीत सीखने के लिए प्रेरित नही किया जा सकता है?बच्चे तीन नंबर का गाना गा रहे हैं और उसी अंदाज में डांस भी कर रहे हैं तो ये शिक्षकों द्वारा संगीत में अच्छे नंबर भी पा रहे हैं.पर बच्चों की बिगड़ती संस्कृति का ठीकरा सिर्फ कॉन्वेंट स्कूल के शिक्षकों के सर ही फोड़ना उचित नही है.इसके लिए अभिभावक भी कम जिम्मेवार नही है.बच्चे अगर ऐसा गाना सीख और गा रहे तो अधिकाँश घर में ही ये सारी चीजें सीख रहे हैं.बदलती टीवी संस्कृति में अभिभावक खुद अपने ऊपर नियंत्रण नही रख पा रहे हैं और उन्हें अब बच्चों की आधुनिकता भी भा रही है.कम्पीटीशन के इस दौर में बच्चों की बेहूदा हरकत को बहुत से अभिभावक अपने बच्चे की दूसरों के बच्चे पर बढ़त के रूप में ले रहे हैं.
    जो भी हो,पर समाज का ये बढ़ता खुलापन कहीं से एक छोटे बच्चे के संस्कार और भविष्य के लिए बेहतर साबित नहीं हो सकता और कहीं ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देने में हमारे बच्चे भी बिगड़े समाज का हिस्सा बनकर रह जाएँ.क्या यहाँ आवश्यकता नहीं  है ऐसी सोच को बदलने की?
कॉन्वेंट स्कूलों में भी बदनाम हो रही मुन्नियाँ कॉन्वेंट स्कूलों  में भी बदनाम हो रही मुन्नियाँ Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 30, 2011 Rating: 5

1 comment:

  1. Convent me ho rahe sangeet ki baat hamare samaj ke badalte parivesh ka aur hamari pragatisheel jeevan ka udaharan hai.Yadi hame raftar se bhag rahi duniya ke saath chalna hai to en soch vicharo se pare hona hi hoga .Ham jitna unchai par honge jameen hamse utna hi neeche hoga ye to hakikat hai.Convent me siksha ke naam par loot ho raha hai,ye ek vicharniya mudda hai.Ye convent wale kamishan ke fer me students ke guardian ko lootne ka kam kar rahe hai.Padhai kya hoti hai es baat par kam parantu advanceness par jyada dhyan diya jata hai ,inhe apni kamishanbaaji band kar deni chahiye .Maddhepura times ko es disa me koi pahal karni chahiye.

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