नवरात्रि के सातवें दिन पड़ने वाली महासप्तमी पर मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की आराधना का विशेष महत्व है। इन्हें सदैव शुभ फल देने के कारण शुभकारी भी कहा जाता है। मान्यता है कि मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करती हैं और भय, रोग, भूत-प्रेत, अकाल मृत्यु एवं शोक जैसी परेशानियों से भक्तों को मुक्ति दिलाती हैं।
धर्मग्रंथों के अनुसार, मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप से लेकर सातवें स्वरूप तक क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी और कालरात्रि की पूजा होती है। सातवें दिन श्रद्धालुओं ने दुर्गा सप्तशती, रामायण और गीता का पाठ किया। कई घरों पर सत्संग का भी आयोजन हुआ।
दस दिनों तक चलने वाली पूजा-अर्चना का समापन दशमी को होगा। प्रखंड मुख्यालय के मुख्य बाजार एवं पोस्ट ऑफिस के समीप स्थित ड्योढ़ी दुर्गा मंदिर, लक्ष्मीपुर चंडीस्थान, खुर्दा, रहटा, परमानंदपुर, बेलारी, भतनी, इसराइन कला और इसराइन बेला सहित सभी पंचायतों के दुर्गा मंदिरों में कलश स्थापना के साथ उत्साहपूर्ण माहौल में नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है।
स्थानीय पूजा समितियों ने पंडालों को आकर्षक और मनमोहक सजावट से सजाया है। मेला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। प्रशासन ने शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पहले से ही सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। डीजे बजाने पर प्रतिबंध और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए पूर्व अनुमति अनिवार्य करने की जानकारी पहले ही शांति समिति की बैठक में दी जा चुकी है।
(रिपोर्ट: मीना कुमारी/ मधेपुरा टाइम्स)

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