दुर्गा पूजा समिति की ओर से सुबह विशेष पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद गाजा-बाजा और ढोल-नगाड़ों के बीच शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। शोभायात्रा सार्वजनिक दुर्गा मंदिर परिसर से प्रारंभ होकर नगर के विभिन्न मार्गों से होते हुए काशीपुर पहुंची। यहां श्रद्धालु पालकी के साथ शहर के काशीपुर स्थित बेल वृक्ष समीप एकत्रित हुए।
पंडित ज्योतिष झा के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच बेल वृक्ष की जड़ में विधिवत पूजा-अर्चना की गई। परंपरा के अनुसार जुड़वा बेल तोड़ने के लिए एक व्यक्ति को वृक्ष पर चढ़ाया गया। इस दौरान ‘जय मां दुर्गा’ के उद्घोष से पूरा इलाका गूंज उठा।
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस परंपरा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। मान्यता है कि सप्तमी की रात बेलतोरी से प्राप्त जुड़वा बेल को मां दुर्गा को अर्पित किया जाता है। मध्यरात्रि में मां दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष बलि और विशेष चढ़ावा अर्पित करने की परंपरा भी प्राचीन काल से चली आ रही है।
इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने माता के दरबार में अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना की। पूरे नगर में दिनभर भक्तिमय वातावरण बना रहा।

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