राजद नेता इंजीनियर प्रणव प्रकाश ने कहा कि शरद यादव को भारत के राजनीतिक और सामाजिक इतिहास में मुक्त समाजवाद की उस धारा को निर्णायक मोड़ देने के लिए याद किया जाएगा, जिसमें सामाजिक न्याय को आर्थिक क्षमता से अधिक अहमियत दी गई। उन्होंने बताया कि समाजवादी चिंतक डॉ. राम मनोहर लोहिया कहा करते थे कि भारत में वर्ग संघर्ष असल में जाति संघर्ष है। जब तक जातिवाद नहीं मिटेगा, तब तक आर्थिक समानता केवल सपना ही रहेगा।
प्रणव प्रकाश ने कहा कि शरद यादव का राजनीतिक जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहा। उनका जन्म मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गांव में हुआ, जिसे दादा माखनलाल चतुर्वेदी का गांव कहा जाता है। उन्होंने जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। लोहिया के बाद वे जयप्रकाश नारायण के अनुयायी बने और संपूर्ण क्रांति आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की। इस दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा।उस समय देश में कांग्रेस सबसे ताकतवर पार्टी थी और इंदिरा गांधी उसकी नेता थीं। शरद यादव ने उनकी अधिनायकवादी कार्यशैली के खिलाफ आवाज उठाई। विपक्षी एकता की पहली इमारत 1974 में जबलपुर लोकसभा उपचुनाव में रखी गई, जब जयप्रकाश नारायण ने शरद यादव को विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा। यह चुनाव कांग्रेस नेता सेठ गोविंद दास के निधन के बाद हुआ था। कांग्रेस ने उनके पुत्र रवि महात्मा को टिकट दिया था।
कार्यक्रम में जदयू पूर्व जिला अध्यक्ष विजेंद्र नारायण यादव, प्रो किशोर कुमार, प्रो राजनंदन कुमार, प्रो आभा रानी यादव, अशोक कुमार यादव, प्रमोद चौधरी सहित महाविद्यालय के सभी कर्मी और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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