"मध्यस्थता एक वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली है, जिसमें पक्षकारों को शीघ्र, सरल और सुलभ न्याय मिलता है": प्रधान जिला जज
कार्यक्रम के दौरान प्रधान जिला जज बलराम दूबे ने मध्यस्थता की उपयोगिता, प्रक्रिया और इसके लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मध्यस्थता एक वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली है, जिससे अदालतों पर बोझ कम होता है और पक्षकारों को शीघ्र न्याय मिलता है।
उन्होंने कहा कि न्याय यदि तुरंत और बिना खर्च के चाहिए तो मीडिएशन ही सबसे उपयुक्त माध्यम है। जिला जज ने अधिवक्ताओं से आग्रह करते हुए कहा कि हर अधिवक्ता कम से कम पांच मामले मध्यस्थता के लिए भेजें। उन्होंने कहा कि समाज में मीडिएशन की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए अधिवक्ताओं की सक्रिय भागीदारी जरूरी है। उन्होंने वकीलों से अपील की कि वे अपने मुवक्किलों को मीडिएशन की प्रक्रिया के लिए प्रेरित करें और सहयोग करें, जिससे लोगों को शीघ्र, सरल और सुलभ न्याय मिल सके।
डीएलएसए सचिव पूजा कुमारी शाह ने कहा कि राष्ट्रीय मध्यस्थता अभियान का उद्देश्य आम जनता को इस व्यवस्था से जोड़ना और छोटे-मोटे मामलों का निपटारा बिना मुकदमेबाजी के करना है। इसके लिए आम लोगों को जागरूक किया जा रहा है। यह अभियान एक जुलाई से 30 सितंबर तक चलेगा।
कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों ने मध्यस्थता की प्रक्रिया को न्यायिक व्यवस्था के लिए सहायक बताते हुए इसके अधिकतम प्रचार-प्रसार पर जोर दिया। इस अवसर पर परिवार न्यायालय के न्यायाधीश संतोष कुमार तिवारी, एडीजे वीरेंद्र कुमार चौबे, अन्य न्यायिक पदाधिकारीगण, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजकिशोर यादव, सचिव सदानंद यादव, जीपी दिलीप वर्मा, पीपी विवेका कुमार सिंह, चीफ एलएडीसीएस सीपी चंदन, डिप्टी चीफ एलएडीसीएस त्रिपुरारी कुमार सिंह समेत बड़ी संख्या में अधिवक्ता, पीएलभी और अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।
(नि. सं.)
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