राहुल कुमार ने बताया कि वे सोमवार की सुबह करीब 3 बजे अपनी पत्नी दुर्गा कुमारी को प्रसव हेतु मुरलीगंज सीएचसी लाए थे। लेकिन अस्पताल में मौजूद डॉक्टर और एएनएम द्वारा समय पर न तो महिला की जांच की गई और न ही कोई चिकित्सकीय देखरेख मिली। परिणामस्वरूप दोपहर 12:40 बजे प्रसव के दौरान अस्पताल के फर्श पर ही नवजात शिशु का जन्म हुआ, लेकिन जन्म के कुछ क्षणों बाद ही उसकी मौत हो गई।
परिजनों के अनुसार, प्रसव से एक घंटे पूर्व की गई जांच में शिशु की स्थिति बिल्कुल सामान्य बताई गई थी। लेकिन समय पर चिकित्सकीय मदद न मिलने के कारण स्थिति बिगड़ती गई। परिजन इस बात से बेहद व्यथित हैं कि अगर समय रहते ध्यान दिया गया होता तो नवजात की जान बचाई जा सकती थी।
घटना के बाद परिजनों और स्थानीय लोगों में अस्पताल प्रबंधन के प्रति भारी आक्रोश देखने को मिला। लोगों ने सवाल उठाया कि आखिर जब अस्पताल में डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ की संख्या पर्याप्त है, तो फिर ऐसी लापरवाही क्यों हो रही है?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि मुरलीगंज सीएचसी में कार्यरत एएनएम, जीएनएम और अन्य स्वास्थ्यकर्मी ड्यूटी से गायब रहते हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल में कुल 116 एएनएम, 4 जीएनएम, 49 उपस्वास्थ्य केंद्र और 4 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मौजूद होने के बावजूद व्यवस्था लचर है।

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