इस दौरान वृंदावन से पधारे कथावाचक परम पूज्य विवेकानंद जी महाराज ने श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा हे नाथ नारायण गीतों के साथ श्रद्धालुओं से कहा कि जीवन में कठिनाइयों का सामना हो तो उसे भगवान का प्रसाद मानकर धारण करना चाहिए । सुख और दुख कर्मों का फल है जो समय अनुसार ही सबको प्राप्त होता है. एक प्रसंग के माध्यम से उन्होंने बताया कि सभी को एक ही अग्नि में जलाया जाता है चाहे वह अमीर हो या गरीब. अपने जीवन में अच्छे व्यक्ति से संगति करना चाहिए।
वहीं उन्होंने कथा स्थल पर श्रद्धालुओं को वामन अवतार की कथा सुनाई । उन्होंने कहा कि मनुष्य रूप में जन्म लेना सबसे बड़ी उपलब्धि है और हमें हर बुराई से लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए। कथा में बताया गया कि राजा बलि को अपनी शक्ति का बहुत घमंड था उनके इस अभियान को चूर करने के लिए भगवान ने वामन रूप धारण किया और भिक्षा मांगने पहुंचे. अभिमानी राजा ने वामन को उनकी इच्छा अनुसार दक्षिणा देने का वचन दिया। वामनरूपी भगवान ने मात्र तीन पग भूमि मांगी राजा वामन का छोटा स्वरूप देख हंसे और तीन पग धरती नापने की अनुमति दे दी। उसके बाद भगवान ने अपना विराट रूप प्रकट किया एक पग में धरती आकाश और दूसरे में पाताल नाप लिया। जब तीसरे पग के लिए स्थान मांगा तब राजा का घमंड टूट गया उन्होंने हाथ जोड़कर प्रभु के सामने नखमस्तक होकर अपना सिर तीसरे पग के लिए समर्पित कर दिया।
कथा में मौजूद लोग महाराज के मधुर गीत 'जिंदगी एक किराए का घर है' पर भाव विभोर नाचते गाते नजर आए।

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