सम्मान हो तो ऐसा: सर्वोच्च अधिकारी सम्मान लेने नहीं गए तो SBI के अधिकारी देने घर पहुँच गए

सम्मान पाने की चाहत किसे नहीं होती? सम्मान पाने की जुगाड़ में लगे लोगों को तो आसपास ही खूब देखा होगा, यहाँ तक कि किसी कार्यक्रम में बिना बुलाये भी सम्मान पाने के लोभ से पहुँचते भी कईयों को देखा होगा. 

लेकिन यदि किसी व्यक्ति को किसी बड़े सम्मान के लिए आमंत्रित किया जा रहा हो और किसी कारण से उसने कार्यक्रम में जाने से इनकार कर दिया हो तो सामान्य रूप से क्या हो सकता है? ऐसा तो बिरले ही होता है जैसा मधेपुरा में हुआ.

विगत रविवार जब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कुछ जोनल अधिकारी पूर्णियां तथा मधेपुरा से 14 साल पहले रिटायर हुए एक बैंक अधिकारी के घर इन्हें सम्मानित करने पहुंचे तो उनकी आँखों मे पुरानी यादों की तस्वीर छलक उठी. ये आँखें मधेपुरा जिला मुख्यालय के वार्ड नं. 20 निवासी उमा कांत झा की थी. 

श्री झा सन 1975 में ADB स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, मधेपुरा बिहार मे कार्यरत हुए. उन्होंने अपना कार्य पूरी ईमानदारी, निष्ठा से किया.  सरल स्वभाव और दयालु प्रवृति की वज़ह से सभी उन्हे बाबा कहने लगे। वे 2006 में कार्य मुक्त हुए. 

विगत रविवार उमा कांत झा को सर्वोच्च अधिकारी का सम्मान दिया गया. मौके पर उन्हें माला अर्पण, पुष्प गुलदस्ता ,शॉल, उपहार आदि से सम्मानित किया गया. जाहिर है, सम्मान मिलने पर उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कविता झा, पुत्र राजेश झा, मुकेश झा, रिंकू झा, पुत्रवधू शिक्षिका आरती झा और परिवार के सभी सदस्यों का गौरवान्वित होना लाजिमी था. 

(वि. सं.)

सम्मान हो तो ऐसा: सर्वोच्च अधिकारी सम्मान लेने नहीं गए तो SBI के अधिकारी देने घर पहुँच गए सम्मान हो तो ऐसा: सर्वोच्च अधिकारी सम्मान लेने नहीं गए तो SBI के अधिकारी देने घर पहुँच गए Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 20, 2024 Rating: 5

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