मधेपुरा जिले के घैलाढ़ प्रखंड क्षेत्र के इनरवा शिव मंदिर प्रांगण में इनरवा के समस्त ग्रामवासी के तत्वावधान में महाशिवरात्रि महोत्सव पर रविवार को सात दिवसीय शिव महापुराण कथा की शुरुआत की गई. कथा के दूसरे दिन श्रीधाम वृंदावन से पधारे अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक देवी पूर्णिमा गार्गी ने शिव पुराण के महत्व का वर्णन किया.
उन्होंने बताया कि शिव महापुराण के श्रवण से हजारों अश्वमेध यज्ञ से भी अधिक फल की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि के मौके पर शिव महापुराण की कथा का बड़ा महत्व है क्योंकि शिवरात्रि के दिन ही शिव जी ने समुद्र मंथन से निकले विष का पान किया था. इस कारण से उनका नाम नीलकंठ पड़ा, शिवरात्रि के दिन ही देवाधिदेव महादेव का विवाह पार्वती से हुआ. इसी दिन भगवान भोलेनाथ पहली बार ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के समक्ष प्रकट हुए थे. कथा वाचिका ने भगवान शिव के अग्नि स्तंभ रूप में प्रकट होने व पार्थिव पूजन की महत्व आदि की भी कथा सुनाई.
उन्होंने बताया कि शिव मंगलमय नाम है. जिस किसी के वाणी में शिव नाम आता है उसके कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं. महादेव कामनाओं की पूर्ति करने वाले हैं उनके 16 सोमवार का व्रत जो भक्त भक्ति भावना के साथ रखता है उसकी कामना कभी अधूरी नहीं रहती. देर शाम तक चलने वाले कथा के दौरान एक से बढ़कर एक भक्ति मय संगीत की रस धारा में श्रोताओं ने जमकर डुबकी लगाई.

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