सात दिवसीय शिव महापुराण कथा को लेकर घैलाढ़ में निकाली गई कलश यात्रा

मधेपुरा जिले के घैलाढ़ प्रखंड मुख्यालय के घैलाढ़ पंचायत के इनरवा गांव अंतर्गत शिव मंदिर प्रांगण में भव्य कलश शोभायात्रा के साथ सात दिवसीय शिव महापुराण कथा का शुभारंभ किया गया. 

इस मौके पर मंदिर परिसर से गाजे बाजे के साथ 251 महिला तथा युवतियों के द्वारा कलश शोभायात्रा निकाली गई. कलश यात्रा शिव मंदिर की परिक्रमा करते हुए घैलाढ़ राजा पोखर में जल भरकर घैलाढ़ पूर्वी टोला होते हुए प्रखंड मुख्यायल के दुर्गा मंदिर का दर्शन करते हुए इनरवा महादेव मंदिर पर पहुंचे. वहां से इनरवा गांव होते हुए पुनः कथा पंडाल लौट गई. जहां श्रीधाम वृंदावन से पधारे विद्वान पंडितों के द्वारा कलश स्थापित कराया गया. 

कथा के पहले दिन वृंदावन से पधारी अंतरराष्ट्रीय कथावाचक देवी पूर्णिया गार्गी जी ने शिव महापुराण पर चर्चा करते हुए कहा कि शिव का अर्थ है कल्याण, शिव के महात्म्य से ओत प्रोत से यह पुराण शिव पुराण कथा के नाम से प्रसिद्ध है. 18 पुराणों में कहीं शिव पुराण तो कहीं वायु पुराण का वर्णन आता है. 

शिव पुराण का संबंध शैव मत से है. इस पुराण में प्रमुख रूप से शिव भक्ति और शिव महिमा का प्रचार प्रसार किया गया है. शिव सहज ही प्रसन्न हो जाने वाले एवं मनोवांछित फल देने वाले हैं किंतु शिव पुराण में शिव के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके रहन-सहन विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के विषय में विशेष रूप से बताया गया है. भगवान शिव सदैव लोकोपकारी और हितकारी हैं. त्रिवेदी में इन्हें संघर्षों का देवता भी माना गया है. अन्य देवताओं की पूजा अर्चना की तुलना में शिव उपासना को अत्यंत सरल माना गया है. अन्य देवताओं की भांति शिव को सुगंधित पुष्पमाला और मीठे पकवानों की आवश्यकता नहीं पड़ती. शिव तो स्वच्छ जल कटीले बेलपत्रों और न खाए जाने वाले पौधों के फल यथा धतूरा आदि से ही प्रसन्न हो जाते हैं. शिव को मनोरम वेशभूषा और अलंकारों की आवश्यकता भी नहीं है यह तो ओधर बाबा है, जटाजूट धारी गले में लिपटे नाग और रुद्राक्ष की मलाए शरीर पर बाघम्बर चीता की भस्म लगाए एवं हाथ में त्रिशूल पकड़े हुए वह सारे विश्व में अपनी पदचाप तथा डमरू की कर्णभेदी ध्वनि से नाचते रहते हैं. इसलिए उन्हें नटराज की संज्ञा भी दी गई है. उनकी वेशभूषा से जीवन और मृत्यु का बोध होता है. शीश पर गंगा और चंद्र जीवन एवं कला के घोतक हैं. शरीर पर चिंता की भस्म मृत्यु की प्रतीक है. यह जीवन गंगा की धारा की भांति चलते हुए अंत में मृत्यु सागर में लीन हो जाता है.

देर शाम तक चलने वाले कथा के दौरान एक से बढ़कर एक भक्तिमय संगीत की रस धारा में श्रोताओं ने जमकर डुबकी लगाई. वहीं व्यवस्थापक समस्त इनरवा ग्राम वासी के तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय शिव महापुराण कथा 3 मार्च से 9 मार्च तक दोपहर 2:00 बजे से 6:00 बजे होगी. 

मौके पर सुरेश यादव फौजी, जदयू अध्यक्ष राजकिशोर यादव, जिला परिषद प्रतिनिधि डॉक्टर बी.के. आर्यन, सरपंच हीरा कामती, दीप नारायण यादव, सुनील यादव, कन्हैया यादव, बिल्टू यादव, रोशन यादव, अंशु यादव, मनोहर यादव, बेचन यादव, लखन कामती, शिक्षक वीरेंद्र कामती सहित समस्त इनरवा ग्राम वासी का सहयोग रहा.

सात दिवसीय शिव महापुराण कथा को लेकर घैलाढ़ में निकाली गई कलश यात्रा सात दिवसीय शिव महापुराण कथा को लेकर घैलाढ़ में निकाली गई कलश यात्रा Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 03, 2024 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.