दो दिवसीय संतमत सत्संग का ज्ञान यज्ञ भजन-कीर्तन के साथ सम्पन्न

 

मधेपुरा जिले के कुमारखंड प्रखंड के मंगरवाड़ा पंचायत स्थित रहटा टोला वार्ड 2 में दो दिवसीय संतमत सत्संग का दो दिवसीय विराट ज्ञान यज्ञ के दूसरे व अंतिम दिन बुधवार को संतमत के अनुयायी भक्ति भाव के सागर में गोता लगाते रहे. सत्संग में मौजूद हजारों श्रद्धालु भक्तजनों को संबोधित करते हुए संतमत के संस्थापक महान् विभूति पूज्यपाद सदगुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के परम प्रिय संत व हरिद्वार (उत्तराखंड) से आए संत स्वामी व्यासानन्द जी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान कहा कि संत की वाणी का श्रवण सत्संग स्थल में आकर करने से और उसका अपने जीवन में आत्मसात करने से ही जन कल्याण संभव है. 

उन्होंने कहा कि जाति धर्म से नहीं बल्कि अपने कर्म से ही मनुष्य की पहचान होती है. उन्होंने कहा कि जीव हत्या से दूर होकर जीवन की सच्चाई को समझते हुए जनकल्याण की सोच के साथ जीवन व्यतीत करने वाला इंसान ही ऊंचाई को छू सकता है. मनुष्य के जीवन में सदाचारीता,आत्म अनुशासन और जन कल्याण की भावना का होना अति आवश्यक है. मनुष्य अपने स्वावलंबन की जीवन से दूर रहकर समाज के उत्थान व कल्याण के लिए कोई कार्य कभी नहीं कर सकता है. इसलिए हर एक मनुष्य को स्वावलंबी होना चाहिए. मानव जीवन और समाज निर्माण कार्य में अपने जीवन को समर्पित करना ही सच्ची ईश्वर भक्ति है. लोगों को संतों के बताए मार्ग पर सदैव चलने से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है. 

उन्होंने संतमत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानव जीवन के लिए अध्यात्म बहुत ही जरूरी है. संतों के बताए रास्ते पर चलने से जीवन की सही मूल्य को समझने का अवसर मिलता है. उन्होंने कहा कि संस्कार से युक्त मानव की तरह जीवन जीने की आदत खुद के अंदर डालनी चाहिए. स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य को अपने कर्म पथ से अलग होकर कभी भी नहीं चलनी चाहिए. विश्व शांति के लिए संतमत के सिद्धांत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संतमत सत्संग का उद्देश्य विश्व में शांति और सद्भाव के मार्ग को प्रसस्त करना है. उन्होंने कहा कि माता-पिता, गुरूजन और अपने से बड़ों का आदर करना चाहिए, जिससे एक संस्कारित मानव बनने का मौका मिलता है और आगे बढ़ने में सहायता मिलती है. उन्होंने कहा कि महर्षि मेंही दास जी महाराज ने जनकल्याण के लिए संतमत को स्थापित किया था. लोगों को दहेज और बाल विवाह, नशा, हिंसा, चोरी व्यभिचार आदि पंच पाप कर्मों से अलग होकर रहने की बात कहते हुए कहा कि ऐसे पापों से बचना चाहिए. 

सत्संग में स्वामी निर्मलानंद जी, स्वामी अर्जुनानन्द जी महाराज सहित कई अन्य साधु-संतों ने भी संतमत के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला. सत्संग स्थल पर सभी तरह की जरूरी व्यवस्था श्रद्धालुओं के लिए की गई थी. आयोजन समिति ने सत्संग स्थल पर भव्य पंडाल के निर्माण के साथ ही रोशनी, शौचालय, भंडारा, पेयजल, ठहराव की व्यवस्था की थी. मौके पर हजारों की संख्या में दूरदराज से सत्संग प्रेमी पहुंचे हुए थे. सत्संग को सफल बनाने के लिए आयोजन समिति के पूर्व मनोज मोदी, जयकुमार चौधरी, भागवत चौधरी, रामोतार चौधरी, भोला प्रसाद यादव, रामलखन यादव, दीपनारायण यादव, पवन चौधरी, दयाशंकर चौधरी, परमेश्वर यादव सहित अन्य आयोजन  समिति सदस्य और पंचायत के सभी सत्संग प्रेमी जुटे हुए थे. सत्संग का समापन बुधवार की शाम में संतों के प्रवचन, भजन, कीर्तन के साथ किया गया.

(रिपोर्ट: मीना कुमारी/ मधेपुरा टाइम्स)

दो दिवसीय संतमत सत्संग का ज्ञान यज्ञ भजन-कीर्तन के साथ सम्पन्न दो दिवसीय संतमत सत्संग का ज्ञान यज्ञ भजन-कीर्तन के साथ सम्पन्न Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on February 22, 2024 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.