कुलसचिव के साथ वार्ता में एनएसयूआई जिलाध्यक्ष निशांत यादव ने कहा कि जब पूर्व से बीएनएमयू एवं अन्य विश्वविद्यालय अंतर्गत महाविद्यालयों में अतिथि शिक्षकों की बहाली विश्वविद्यालय द्वारा स्वंय करवाया जाता रहा है लेकिन अगर निजी कंपनियों को बहाली की जिम्मेवारी मिलती है तो बहाली प्रक्रिया स्वच्छ नहीं होगी, परिणाम यह होगा कि योग्य शिक्षकों का चयन नहीं हो पाएगा जिससे शिक्षा के स्तर का क्षरण होगा. उसके साथ ही निजी कंपनियों द्वारा बहाली में कमीशनखोरी बढ़ने की संभावना बनी रहेगी.
जिलाध्यक्ष निशांत यादव ने कहा कि सरकार के इस तुगलकी फरमान के खिलाफ भी हमारा संघर्ष जारी रहेगा. महाविद्यालयों में प्राध्यापकों की बहाली प्रक्रिया को निजी कंपनियों के हाथो सौंपे जाने के फैसले को वापस लेने तक आंदोलन जारी रहेगा. एआईएसएफ जिलाध्यक्ष वसीमुद्दीन उर्फ नन्हे ने कहा कि विश्वविद्यालय अंतर्गत महाविद्यालय अंगीभुत महाविद्यालयों में एजेंसी द्वारा प्राध्यापकों की नियुक्ति विषयवार की जा रही है. इसमें आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया जा रहा है. कंपनी द्वारा प्राध्यापकों की नियुक्ति पर रोक लगाई जाए. साथ ही विश्वविद्यालय अंतर्गत अतिथि प्राध्यापकों की बहाली की जाय.
प्रतिनिधिमंडल में मुख्य रूप से एआईएसएफ नेता प्रभात रंजन, एनएसयूआई नेता अमित कुमार, रंजित कुमार, सोनू कुमार आदि उपस्थित थे.
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