राजकीय अंबेडकर आवासीय बालिका विद्यालय के 40 छात्राओं के दल को प्रधानाध्यापक एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के नेतृत्व में वियाडा के अंतर्गत प्लाई फैक्ट्री फ्लाइं निर्माण से संबंधित जानकारी बच्चों को उपलब्ध करवाई गई.
बच्चों को बताया गया कि पेड़ से प्राप्त लकड़ी से कैसे प्लाई का निर्माण किया जाता है. सबसे पहले पेड़ से कटे लकड़ी को साइज में काटा जाता है फिर उस पर ऊपर के छिलके को हटाने के लिए मशीन से गोल गोल घुमा कर उसके छिलके उतारे जाते हैं. उतारे हुए लकड़ी के गोल गोल मोटाई वाले लकड़ी को फिर दूसरे मशीन पर चढ़ा कर लंबी लंबी फ्लाइ की टुकड़ी निकाली जाती है.
वहीं कुशलता से कार्य कर रहे मशीनों के विषय में बच्चों को समझाया गया और मशीनों को चलाने वाले करने वाले चालक जो टेक्निकल दक्षता के विषय में बतलाई गई।
दूसरे चरण में बच्चों ने देखा कि मशीन से निकल रहे प्लाई वहां 40 से 50 की संख्या में कार्य कर रहे महिला श्रमिक बड़ी तेजी के साथ दक्षता पूर्ण तरीके से कार्य कर रहे थे.
बच्चों को परिभ्रमण के दौरान टेक्निकल जानकारी देने में प्लाईवुड फैक्ट्री के प्रोपराइटर दिनेश मिश्रा बच्चों का मार्गदर्शन भी कर रहे थे कि किस तरह कौन सी मशीन कब और क्या-क्या काम करती है और साथ ही साथ प्लाई निर्माण में जो वेस्टेज बाहर आते उनका किन-किन चीजों में उपयोग होता है उपयोग एथेनॉल बनाने वाली पूर्णिया फैक्ट्री चावल तैयार करने वाली फैक्ट्री एवं अन्य बॉयलर जहां चलते हैं वहां इन्हें आग जलाने में उपयोग किया जाता है. निर्माण किए गए अप्लाई को फिर पेस्टिंग के लिए बड़े-बड़े फैक्ट्रियों में मालवाहक वाहन द्वारा भेजा जाता है जहां से लाइकी पेस्टिंग कर बड़े-बड़े विशेष आकार दिए जाते हैं तैयार किए जाते हैं.
वहीं लकड़ी के आरा मिल पर ले जाकर छात्राओं को लकड़ी से बन रहे उत्पाद के बारे में बताया गया.
मामले में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रामगुलाम गुप्ता ने मौके पर बताया कि औद्योगिक क्षेत्र का परिभ्रमण कर वहां की टेक्नोलॉजी रोजगार व कई तकनीकी जानकारी प्राप्त करते हैं छात्र छात्रा औद्योगिक परिक्षेत्र परिभ्रमण का मुख्य उद्देश्य बच्चों में विज्ञान के अलावा तकनीकी क्षेत्र में रुचि को बढ़ाना है।
मौके पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रामगुलाम गुप्ता राजकीय अंबेडकर बालिका विद्यालय की शिक्षिका सुमन कुमारी अंजय कुमार, पप्पू कुमार, अजय कुमार प्रभाकर, ललन कुमार पासवान डाटा एंट्री ऑपरेटर आदि मौजूद थे.

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