मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना हर घर नल का जल प्रखंड क्षेत्र में विभागीय उदासीनता की भेंट चढ़ गई है. पूरे प्रखंड में नल जल के लिए लगभग कुल 40 करोड़ से अधिक रुपए की खर्च की गई है इसके बावजूद भी लोगों को नल जल की सुविधा नहीं मिल सकी है, ऐसे में सरकार की यह बड़ी रकम बर्बाद होती दिख रही है। जल संयंत्र का निर्माण करने वाली कार्य एजेंसी एवं प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही से अब तक लोगों के लिए नल का जल सपना ही बना हुआ है। फिलहाल तो लोग जलमीनार को देख ही संतोष कर रहे हैं।
सरकार द्वारा हर घर नल का जल कार्य पूरा करवाने का निर्देश दिए जाने पर आनन-फानन में कार्यकारी एजेंसी द्वारा कराए गए कार्य आधे अधूरे धरातल पर नजर आ रहे हैं। प्रखंड क्षेत्र के नो पंचायत चिति, श्रीनगर, भतरंधा परमानपुर, बरदाहा, झिटकिया, अर्रहा महुआ दिघरा, भान टेकठी, रतनपुरा, घैलाढ़ समेत सभी पंचायतों में करीब दो वर्ष पूर्व बनाए गए जल मीनार अब हाथी का दांत साबित हो रहा है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि वार्ड में करीब दो साल पूर्व जल मीनार का निर्माण कराया गया। विभिन्न जगहों पर पाइप भी बिछाए गए, परंतु किसी वार्ड में सफलतापूर्वक इसका संचालन नहीं हो रहा है। पंचायत के विभिन्न वार्डों में बना जल मीनार एवं घर-घर लगाये गये नल अब शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। योजना के तहत घरों तक कहीं-कहीं नल प्वाइंट लगाए जा चुके हैं। कहीं वैसे पाइप बिछा हुआ है और कहीं लगाया भी नहीं गया।
जबकि प्रखंड क्षेत्र में 130 जल मीनार बनाए गए हैं जबकि एक वार्ड में 5 साल के मेंटेनेंस सहित लगभग 30 से 35 लाख रुपए की लागत है लगभग करोड़ों खर्च के बावजूद भी लोगों को नल का जल नहीं मिल पा रहा है जिसको लेकर कई बार मीडिया में खबर छपने पर अधिकारियों द्वारा जांच पड़ताल तो किए जाते हैं परंतु अब तक उचित पहल नहीं किए जाने से प्रतीत होता है कि अधिकारी एवं सर्वेक्षणकारी व प्रतिनिधियों की मिलीभगत से हर घर नल की जल योजना में सरकारी राशि की लूट खसोट एवं बंदरबांट कर कागजों पर नल जल योजना चलाए जा रहे हैं. जिस लापरवाही से अब तक लोगों के लिए नल का जल सपना ही बना हुआ है फिलहाल तो लोग जल मीनार को देख ही संतोष कर रहे हैं।

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